Kailash Vijayvargiya: इंदौर लोकसभा सीट मध्य प्रदेश में बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ मानी जाती है. लेकिन इस बार इस सीट पर महिला प्रत्याशी की मांग उठी है, दरअसल, इस बात को सबसे ज्यादा हवा तब मिली जब मोहन सरकार में मंत्री और बीजेपी के सीनियर नेता कैलाश विजवयर्गीय ने एक कार्यक्रम में वर्तमान सांसद शंकर लालवानी का टिकट काटे जाने की बात कहते हुए इंदौर में महिला प्रत्याशी उतारे जाने के संकेत दिए. हालांकि बाद में विजयवर्गीय ने इस मामले में सफाई भी दी है, उनका कहना था कि 'ये मजाक था.' लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर बात उठी तो कुछ रहा होगा, क्योंकि मध्य प्रदेश में इंदौर लोकसभा सीट बीजेपी के लिए अहम मानी जाती है. 


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बीजेपी क्यों उतार सकती है महिला प्रत्याशी 


इंदौर देश का सबसे स्वच्छ और तेजी से उभरता हुआ शहर हैं, यहां की सियासत में पुराने समय से ही महिलाओं का राजनीति में सीधा होल्ड रहा है. वैसे भी इंदौर में रानी अहिल्याबाई होल्कर का शासन रहा है, जिससे इंदौर को अहिल्याबाई की नगरी के नाम से जाना जाता है, बाद में सुमित्रा महाजन ने बतौर महिला सांसद न केवल इंदौर में बल्कि देशभर में अपनी एक अलग पहचान बनाई. 2023 के विधानसभा चुनाव में इंदौर की 9 में से 2 विधानसभा सीटों पर बीजेपी की महिला प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी. महू में उषा ठाकुर और इंदौर-4 में मालिनी गौड़ ने चुनाव जीता था. ऐसे में बीजेपी यहां महिला प्रत्याशी पर फिर से दांव लगा सकती है. यही वजह है कि कैलाश विजवयर्गीय ने भी इस बात के संकेत दिए थे. 


राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना है कि इंदौर में कांग्रेस भी महिला प्रत्याशी पर दांव लगा सकती है, क्योंकि कांग्रेस ने भी यहां लंबे समय से महिला प्रत्याशी नहीं उतारा है, ऐसे में बीजेपी हवा के रुख को भांपकर ही इंदौर में आगे बढ़ना चाहती है. 


विजयवर्गीय ने कही थी महिला प्रत्याशी की बात 


दरअसल, कैलाश विजयवर्गीय ने एक कार्यक्रम में कहा था 'मुझे  उड़ते-उड़ते खबर मिली है कि शंकर जी का टिकट इसीलिए कटा है, क्योंकि महिला प्रत्याशी को इंदौर से उतारा जाना है. ऐसी खबर मिली है, पता नहीं है मुझे. क्योंकि प्रधानमंत्री ने कहा कि महिला को लड़ाओं और सेफ सीट से लड़ाओं.' विजयवर्गीय का यह बयान तेजी से सियासी गलियारों में उठा. हालांकि बाद में विजयवर्गीय ने बयान पर सफाई देते हुए कहा कि अभी शंकर लालवानी का टिकट कटा नहीं है. उन्होंने यह बात मजाक में कही थी. लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी अभी भी महिला प्रत्याशी उतार सकती है. 


बीजेपी ने इंदौर सीट पर लगाया है होल्ड 


मध्य प्रदेश में बीजेपी ने 24 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं, लेकिन सबसे मजबूत इंदौर सीट पर होल्ड लगाया है, जबकि 2019 में यहां बीजेपी को बड़ी जीत मिली थी और शंकर लालवानी भी पूरे पांच साल एक्टिव रहे हैं. लेकिन फिर भी इंदौर से उनकी उम्मीदवारी का ऐलान नहीं होने के पीछे के कई मतलब निकाले जा रहे हैं. दरअसल, मालवा-निमाड़ की ज्यादातर सीटों पर बीजेपी ने प्रत्याशी उतार दिए हैं, ज्यादातर टिकट पुरुष प्रत्याशियों को दिए गए हैं. ऐसे में बीजेपी इंदौर लोकसभा सीट से किसी महिला प्रत्याशी को उतारकर मालवा-निमाड़ की नारी शक्ति को साध सकती है. 


1988 से कभी नहीं हारी सुमित्रा ताई 


वैसे भी इंदौर एक मात्र ऐसी लोकसभा सीट रही है जिस पर 1988 से 2014 तक महिला प्रत्याशी का होल्ड रहा है. देश की पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन 1988 से 2014 तक इंदौर से लगातार आठ लोकसभा चुनाव जीती थी, जो अपने आप में बड़ा रिकॉर्ड है, क्योंकि ताई लगातार आठ लोकसभा चुनाव जीतने वाली अकेली महिला सांसद हैं. ऐसे में बीजेपी एक बार फिर से यहां महिला प्रत्याशी  उतारती तो यह भी एक रिकॉर्ड होगा, फिर इंदौर ऐसी सीट बन जाएगी जहां बीजेपी ने सबसे ज्यादा महिला प्रत्याशियों को मौका दिया होगा. 


ताई और भाई का सीधा होल्ड


खास बात यह भी है इंदौर लोकसभा सीट पर सुमित्रा महाजन यानि 'ताई' और कैलाश विजयवर्गीय यानि 'भाई' का सीधा होल्ड माना जाता है. विजयवर्गीय सरकार में सीनियर मंत्री है तो भले ही सुमित्रा महाजन को बीजेपी ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़वाया था, लेकिन अभी वह इंदौर की राजनीति में पूरी तरह से एक्टिव रहती हैं जिससे इंदौर में उनका पूरा होल्ड अभी भी माना जाता है. ऐसे में माना जा रहा है कि बीजेपी किसी भी तरह का रिस्क नहीं उठाना चाहती. इसलिए इंदौर लोकसभा सीट से महिला प्रत्याशी की मांग उठ रही है, ऐसे में बीजेपी महिला प्रत्याशी को उतारकर मैसेज दे सकती है कि सुमित्रा ताई के बाद फिर से महिला प्रत्याशी को मौका दिया गया है, जबकि भाई भी इसमें पूरी तरह से राजी होंगे. 


इंदौर लोकसभा सीट का इतिहास 


इंदौर लोकसभा सीट पर अब तक 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से 9 बार बीजेपी को जीत मिली है, जबकि एक बार 7 बार कांग्रेस को जीत मिली है, एक बार निर्दलीय प्रत्याशी और एक बार 1 जनता पार्टी ने जीत हासिल की है. 1988 के बाद इंदौर में बीजेपी कभी नहीं हारी. यही वजह है कि इंदौर सीट बीजेपी के लिए अहम मानी जाती है. 


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