MP Lok Sabha Elections 2024: जबलपुर (Jabalpur Lok Sabha Seat) की बात करें तो इसकी गिनती मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों में होती है. जबलपुर अपनी समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है. अब कुछ ही दिनों में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं. अगर हम जबलपुर लोकसभा सीट की बात करें तो पहले कभी ये सीट कांग्रेस का गढ़ होती थी. हालांकि, अब पिछले कई सालों से यहां पर बीजेपी की जीत हो रही है तो चलिए जानते हैं इस सीट का समीकरण...


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Sagar Lok Sabha Seat 2024: BJP का मजबूत किला है सागर Lok Sabha सीट, लगातार आठवीं जीत पर नजर


सेठ गोविंद दास का वर्चस्व
बता दें कि 1952 में, पहली लोकसभा की स्थापना के समय जबलपुर में दो संसदीय सीटें थीं. सुशील कुमार पटेरिया ने जबलपुर उत्तर सीट हासिल की, जबकि मंगरु गणु उइके ने सांसद के रूप में जबलपुर दक्षिण-मंडला का प्रतिनिधित्व किया था. वहीं, मध्यप्रदेश के गठन के बाद जबलपुर लोकसभा सीट पर पहले चुनाव 1957 में हुए थे. जहां कांग्रेस के सेठ गोविंद दास ने जीत हासिल की थी. बता दें कि सेठ गोविंद दास की गिनती एमपी के इतिहास के कद्दावर नेताओं में होती है. उन्होंने 1971 तक लगातार चार बार जबलपुर से सांसद का चुनाव जीता था. 


1974 के उपचुनाव में 27 साल के शरद यादव ने चुनाव जीता 
1974 में, सांसद सेठ गोविंद दास के निधन के बाद जबलपुर में उपचुनाव होना था. उस समय में देश में जेपी आंदोलन अपने चरम पर था. ऐसे में जयप्रकाश नारायण ने 27 साल के शरद यादव को टिकट दिया. भारतीय लोकदल के टिकट से चुनाव लड़ते शरद यादव ने उपचुनाव में जीत हासिल की. खास बात ये थी कि जेल में रहते हुए भी उन्होंने उपचुनाव जीता था. जब 1977 में आपातकाल हटने के बाद देश में चुनाव हुए तो ज्यादातर सीटों पर कांग्रेस की करारी हार हुई. यहां पर भी यही हाल हुआ. जनता पार्टी के टिकट पर शरद यादव ने दूसरी बार जीत हासिल की. हालांकि, 1980 के चुनावों में, कांग्रेस ने जबलपुर में वापसी की और मुंदर शर्मा चुनाव जीते. वहीं 1982 में जबलपुर में एक बार फिर उपचुनाव हुए. जहां भाजपा के बाबूराव परांजपे ने सीट पर जीत हासिल की.  फिर इसके बाद के कुछ चुनावों में भाजपा-कांग्रेस को बारी-बारी जीत मिली. 1984 में कांग्रेस, 1989 में बीजेपी और  1991 में कांग्रेस के श्रवण कुमार पटेल की जीत हुई.


शरत सक्सेना ने किया था प्रचार
1974 में जबलपुर लोकसभा सीट खाली हो गई, जिसे सेठ गोविंद दास लगातार चार बार जीत चुके थे. कांग्रेस ने दास के पोते रवि मोहन को उम्मीदवार बनाया, जो एक इंजीनियर थे.  विपक्ष ने शरद यादव को उम्मीदवार बनाया, जो जबलपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके थे. खास बात यह है कि मशहूर अभिनेता शरत सक्सेना, जो जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में शरद यादव और रवि मोहन के जूनियर थे. उन्होंने रवि मोहन के लिए प्रचार किया था.


चुनाव आपातकाल से ठीक पहले हुआ था, जब कांग्रेस और इंदिरा गांधी अलोकप्रिय हो रहे थे. यादव ने जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चल रहे छात्र आंदोलन का समर्थन किया था और उन्हें जेल में डाल दिया गया था. जेल में रहते हुए, वो समाजवादी विचारों से प्रभावित हुए और जेपी आंदोलन में शामिल हो गए.


'लल्लू को न जगदर को, मुहर लगेगी हलधर को'
चुनाव ज़ोर-शोर से लड़ा गया. यादव ने 'लल्लू को न जगदर को, मुहर लगेगी हलधर को' का नारा दिया, जो लोगों के बीच लोकप्रिय हुआ. जहां शरद यादव की जीत हुई. यह जीत कांग्रेस के लिए एक झटका थी और इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ बढ़ते विरोध का प्रतीक थी. शरद यादव ने 1977 का लोकसभा चुनाव भी जबलपुर से लड़ा और जीत हासिल की.


1996 से बीजेपी का मजबूत गढ़


1996 में बीजेपी की यहां पर जीत हुई. खास बात ये है कि 1996 से जबलपुर सीट बीजेपी का मजबूत किला बन गई है. 1996 के बाद से इस सीट पर लोकसभा के सभी चुनाव बीजेपी ने ही जीते हैं. 1996 और 1998 के चुनावों में,  भाजपा के बाबूराव परांजपे को जनता ने चुना. 1999 में बीजेपी की जयश्री बनर्जी ने कांग्रेस के चंद्रमोहन को हराया. वहीं, 2003 में, भाजपा के राकेश सिंह ने जीत हासिल की.  बता दें कि उन्होंने लगातार 4 बार सांसद के चुनाव जीते.  खास बात यह है कि अब वह विधायक हैं और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी हैं. यानी पूरी उम्मीद यही है कि बीजेपी किसी और उम्मीदवार को टिकट देगी.


जेपी नड्डा की ससुराल
इस लोकसभा चुनाव में जबलपुर लोकसभा सीट पर सबकी नजर रहने की एक और वजह ये भी है. ये तो आप जानते हैं कि इस वक्त जेपी नड्डा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. खास बात ये है कि जबलपुर जेपी नड्डा का ससुराल है.जी हां, यहां तक की नड्डा की सास जय श्री बनर्जी पूर्व में जबलपुर से सांसद रह भी चुकी हैं. इसलिए बीजेपी का गढ़ बन चुकी और जेपी नड्डा की ससुराल जबलपुर सीट पर भी सबकी नजर रहेगी.


जबलपुर लोकसभा सीट में कितनी विधानसभा सीटें हैं?
जबलपुर लोकसभा सीट की बात करें तो इसमें 8 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं. इन सीटों में पाटन, बरगी, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर कैंट, जबलपुर पश्चिम, पनागर और सिहोरा शामिल हैं.



 हाल ही में संपन्न हुए एमपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जबलपुर में शानदार प्रदर्शन किया. पार्टी ने 8 में से 7 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस का एकमात्र उम्मीदवार जबलपुर पूर्व से विधायक का चुनाव जीता.

विधानसभा सीट विधायक पार्टी
पाटन अजय विश्नोई BJP
बरगी नीरज सिंह लोधी BJP
जबलपुर पूर्व (SC) लखन घनघोरिया कांग्रेस
जबलपुर उत्तर अभिलाष पांडे BJP
जबलपुर कैंट अशोक रोहाणी BJP
जबलपुर पश्चिम राकेश सिंह BJP
पनागर सुशील कुमार तिवारी BJP
सिहोरा (ST) संतोष वरकड़े BJP

 


जबलपुर लोकसभा सीट के कुल मतदाता
2011 की जनगणना के अनुसार, जबलपुर की कुल जनसंख्या 25,41,797 है, जिसमें से 59.74% शहरी और 40.26% ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है. वहीं,जबलपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में कुल मतदाता करीब 17 लाख (17,11,683 ) हैं. बता दें कि इन मतदाताओं में, 8,97,949 पुरुष और 8,13,734 महिलाएं शामिल हैं. अनुसूचित जाति की जनसंख्या 14.3% है, जबकि अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 15.04% है.

विशेषता मान
कुल जनसंख्या 25,41,797
शहरी क्षेत्र में निवास करने वालों का प्रतिशत 59.74%
ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वालों का प्रतिशत 40.26%
कुल मतदाता 17,11,683
पुरुष मतदाताओं की संख्या 8,97,949
महिला मतदाताओं की संख्या 8,13,734
अनुसूचित जाति की जनसंख्या 14.3%
अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 15.04%

2014 का रिजल्ट

पार्टी उम्मीदवार वोट वोट %
BJP राकेश सिंह 5,64,609 56.34%
कांग्रेस विवेक कृष्ण तन्खा 3,55,970 35.52%
BSP आफताब आलम 16,008 1.60%
AAP कैप्टन हनफ़ी 15,977 1.59%
AIMIM मोहम्मद आदिल 9,053 0.90%

2019 का रिजल्ट


2019 के लोकसभा चुनाव में, भाजपा ने जबलपुर लोकसभा सीट पर निर्णायक जीत हासिल की थी. भाजपा उम्मीदवार राकेश सिंह को 826,454 वोट मिले, जो कुल वोटों का 65.41% था. दूसरी ओर, कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा को 371,710 वोट मिले, जो कुल वोटों का 29.42% था. चुनाव में राकेश सिंह को 4,54,744 वोटों से जीत मिली थी. 2019 में कुल मतदान प्रतिशत 69.46% रहा था.


जबलपुर संसदीय क्षेत्र के विजेताओं, मुख्य प्रतिद्वंद्वी की लिस्ट


साल विजेता मुख्य प्रतिद्वंद्वी
1957 लोकसभा चुनाव सेठ गोविंददास (कांग्रेस) महेश दत्ता (पीएसपी)
1962 लोकसभा चुनाव सेठ गोविंददास (कांग्रेस) जगन्नाथ प्रसाद द्विवेदी (जेएस)
1967 लोकसभा चुनाव सेठ गोविंददास (कांग्रेस) बाबूराव परांजपे (जनसंघ)
1971 लोकसभा चुनाव सेठ गोविंददास (कांग्रेस) बाबूराव परांजपे (जनसंघ)
1977 लोकसभा चुनाव शरद यादव (लोकदल) जगदीश नारायण अवस्थी (कांग्रेस)
1980 लोकसभा चुनाव मुन्दर शर्मा (कांग्रेस) राजमोहन गांधी (जेएनपी)
1984 लोकसभा चुनाव अजय नारायण मुश्रान (कांग्रेस) बाबूराव परांजपे (भाजपा)
1989 लोकसभा चुनाव बाबूराव परांजपे (भाजपा) अजय नारायण मुश्रान (कांग्रेस)
1991 लोकसभा चुनाव श्रवण कुमार पटेल (कांग्रेस) बाबूराव परांजपे (भाजपा)
1996 लोकसभा चुनाव बाबूराव परांजपे (भाजपा) श्रवण कुमार पटेल (कांग्रेस)
1998 लोकसभा चुनाव बाबूराव परांजपे (भाजपा) डॉ. आलोक चंसोरिया (कांग्रेस)
1999 लोकसभा चुनाव जयश्री बनर्जी (भाजपा) चंद्रमोहन (कांग्रेस)
2004 लोकसभा चुनाव राकेश सिंह (भाजपा) विश्वनाथ दुबे (कांग्रेस)
2009 लोकसभा चुनाव राकेश सिंह (भाजपा) रामेश्वर नीखरा (कांग्रेस)
2014 लोकसभा चुनाव राकेश सिंह (भाजपा) विवेक तन्खा (कांग्रेस)
2019 लोकसभा चुनाव राकेश सिंह (भाजपा) विवेक तन्खा (कांग्रेस)