Lok Sabha Election: नई दिल्ली/शाजापुर। देश में कुछ ही समय बाद लोकसभा के चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में सियासी दलों के चुनाव प्रचार प्रसार और बड़े नेताओं के बीच क्षेत्रीय पर पुराने नेताओं की चर्चा होने लगी है. ऐसा ही एक नाम है मध्य प्रदेश के शाजापुर के पुष्करलाल मेहता जिन्हें आज कम ही लोग जानते हैं. लेकिन, चुनाव से पहले ये नाम एक बार फिर शाजापुर के गलियों में चर्चा में आने लगा है.


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चर्चा में पुष्करलाल मेहता
पुष्करलाल मेहता वो नाम हैं जिन्हें आज भले कम लोग ही जानते हों लेकिन उन्होंने देश के आजाद होने के बाद पहली ही चुनाव में कांग्रेस को कड़ी टक्कर दी थी. पुष्करलाल उस समय की प्रचलित सीट शाजापुर से चुनाव लड़े थे. उस समय ही उन्होंने युवाओं और रोजगार का मुद्दा उठाया था. पुष्करलाल मेहता के बारे में जानकारी दी उनके बेटे ओमप्रकाश आर्य जो खुद भी एक चुनाव लड़ चुके हैं.


कड़ी टक्कर दी थी
ओमप्रकाश आर्य ने एक मीडिया संस्थान से बताया कि उनके पिता पुष्करलाल मेहता साल 1951-52 का पहला लोकसभा चुनाव लड़े थे. उस समय उनके सामने कांग्रेस के जाने माने नेता लीलाधर जोशी थे. पिता जी निर्दलीय मैदान में थे उनका धनुष बाण चुनाव चिन्ह मिला था. वो चुना तो नहीं जीत पाए लेकिन टक्कर कड़ी थी. वो कांग्रेस के पास युवाओं का अच्छा वोटबैंक होने के बाद भी विचारधारा के खिलाफ मैदान में उतरे थे.


कभी नहीं बदला रास्ता
1980 में शाजापुर से जनता दल की टिकट पर चुनाव लड़ चुके ओमप्रकाश आर्य बताता हैं कि आपातकाल में भी पिताजी (पुष्करलाल मेहता) सक्रिय थे. इस कारण उनको 19 माह तक जेल में बंद रखा गया. उन्होंने कहा कि अब जब राजनीति में सिद्धांत मायने नहीं रखते हैं ऐसे में उनके पिता पूरे समय अपनी विचारधारा से जुड़े रहे.


शाजापुर लोकसभा क्षेत्र
शाजापुर लोकसभा क्षेत्र अभी अस्तित्व में नहीं है. ये 2008 के परिसीमन के बाद समाप्त हो चुका है. ये निर्वाचन क्षेत्र 1976 से 2008 तक अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित था. इसमें शाजापुर जिले पूरी तरह से और देवास का कुछ हिस्सा कवर होता था. इसमें आगर, शाजापुर, शुजालपुर, देवास, सोनकच्छ, हाटपिपलिया के साथ ही सुसनेर, गुलाना विधानसभा थीं. इसमें से गुलाना 2008 में समाप्त हो गई है.


शाजापुर का चुनावी इतिहास
1951 में ये शाजापुर राजगढ़ नाम से दो सदस्यों वाली सीट थी. यहां से कांग्रेस के लीलाधर जोशी और भागू नंदू मालवीय सदस्य थे.
1957 में भी ये शाजापुर राजगढ़ नाम से दो सदस्यों वाली सीट थी. यहां से कांग्रेस के लीलाधर जोशी और कनहियालाल मालविय सदस्य थे.
1962 से लेकर साल 1967 तक ये सीट मौजूद नहीं थी.
1967 में भारतीय जनसंघ के बाबूराव पटेल और 1971 में जनसंघ के ही जगन्नाथराव जोशी संसद पहुंचे थे.
1977 और 1980 में जनता पार्टी के फूलचंद वर्मा
1984 में कांग्रेस के बापूलाल मालवीय
1989 और 1991 में भाजपा के फूलचंद वर्मा और उसके बाद 1996, 99, 98 और 2024 में भाजपा के थावरचंद गहलोत यहां से संसद में पहुंचे.