Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बीजेपी पूरी तैयारी में जुटी हुई है. इस बार बीजेपी एमपी की सभी सीटें जीतने की कोशिश में है. पार्टी ने ज्यादातर यानी 24 सीटों पर उम्मीदवारों की भी घोषणा कर दी है. इसी क्रम में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य आज एमपी दौरे पर थे. केशव प्रसाद मौर्य रीवा और सतना पहुंचे. गौरतलब है कि विंध्य में चुनाव में जातीय समीकरण काफी अहम होता है. खास बात ये है कि केशव प्रसाद मौर्य का एमपी दौरा बीजेपी के लिए विंध्य में फायदेमंद हो सकता है. आइये समझते हैं केशव प्रसाद मौर्य के दौरे की अहमियत...



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केशव प्रसाद मौर्य पिछड़ा वर्ग महासम्मेलन में हुए शामिल
केशव प्रसाद मौर्य आज पिछड़ा वर्ग महासम्मेलन कार्यक्रम में शामिल होने सतना पहुंचे और टाउन हॉल में सभा को संबोधित किया. कार्यक्रम में सतना सांसद और लोकसभा प्रत्याशी गणेश सिंह, जिला अध्यक्ष सतीश शर्मा और अन्य भाजपा नेता मौजूद रहे. इस दौरान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि 100 में से 75 हमारे हैं और 25 में भी बंटवारा है और उसमें भी हमारा है. केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि पिछली बार एमपी और यूपी में एक-एक सीट पर कांग्रेस का खाता खुला था. मैं आपसे वादा करता हूं कि इस बार यूपी के रायबरेली में भी खाता नहीं खुलेगा. 80 की 80 सीटों पर बीजेपी की जीत होगी. एमपी में 29 की 29 सीटें हमारी होंगी. केशव प्रसाद मौर्य सतना के अलावा रीवा भी पहुंचे. केशव प्रसाद मौर्य ने रीवा लोकसभा क्षेत्र के बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन में पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. केशव प्रसाद मौर्य ने रीवा में लोगों से बीजेपी को वोट करने की अपील की.



केशव प्रसाद मौर्य के दौरे के मायने
गौरतलब है कि केशव प्रसाद मौर्य की गिनती उत्तर प्रदेश के ही नहीं, बल्कि देश के बड़े ओबीसी नेताओं में होती है. केशव प्रसाद मौर्य ताकतवार ओबीसी मौर्य, कुशवाहा, शाक्य, सैनी जातियों से आते हैं. आपको बता दें कि अगर सतना लोकसभा सीट और विंध्य की सीटों की बात करें तो यहां भी ओबीसी वर्ग और कुशवाहा समाज का अच्छा खासा वोट बैंक है. सतना की ही बात करें तो कुछ दिनों पहले हुए मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस पार्टी के सिद्धार्थ लाल कुशवाहा ने बीजेपी के चार बार के सांसद गणेश सिंह को हराया था. कुशवाहा की गिनती अब कांग्रेस के बड़े ओबीसी नेताओं में होने लगी है. उनके पिता की बात करें तो सुखलाल कुशवाहा ने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को चुनाव में हराया था. 1996 में उन्होंने सतना में कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह और पूर्व सीएम वीरेंद्र सकलेचा को हराया था. अगर कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव में सिद्धार्थ लाल कुशवाहा को प्रत्याशी बनाती है, तो यहां मुकाबला दिलचस्प हो सकता है. इसलिए बीजेपी को सामाजिक समीकरण की जरूरत पड़ेगी.


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश में कुशवाहा समुदाय की बात करें तो इसकी गिनती मजबूत ओबीसी जातियों में होती है. राज्य में करीब 60 लाख लोग कुशवाहा समुदाय के हैं और कई सीटों पर चुनाव के नतीजे तय करने में ये अहम भूमिका निभाते हैं. विंध्य के अलावा बुंदेलखंड और ग्वालियर-चंबल में भी कुशवाहा जाति का प्रभाव है. इसलिए अब केशव प्रसाद मौर्य की एमपी में एंट्री बीजेपी के लिए फायदेमंद हो सकती है.