यहां जमीन फाड़कर प्रकट हुए थे गणेश जी! दर्शन मात्र से पूरी हो जाती है यह खास मन्नत
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में गणेश जी का एक ऐसा रहस्यमयी मंदिर है, जहां दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. मान्यता है कि यहां आने से नि:संतान लोगों को संतान की प्राप्ती हो जाती है.
Ganesh Chaturthi 2023: आज गणेश चतुर्थी है इस खास मौके पर घर- घर गणपति की प्रतिमाएं विराजमान की गई हैं. कहते हैं भगवान गणेश दु:खी लोगों के दुख हरते हैं. नि:संतानों की गोद भरते हैं. छत्तीसगढ़ के बालोद में भगवान गणेश का एक ऐसा मंदिर हैं, जहां मान्यता है कि यहां आने से नि:संतान लोगों को संतान की प्राप्ती हो जाती है. बालोद के मरार पर स्थित स्वयंभू गणेश मंदिर की मान्यताएं पूरे क्षेत्र में प्रचलित है.
जानें मंदिर का इतिहास
इस मंदिर का इतिहास 100 वर्षों से भी पुराना है. इस मंदिर की सबसे बडी खासियत है कि यहां पर मंदिर में जमीन फोड़कर प्रकट हुईं भगवान गणेश जी की मूर्ति लगातार बढ़ती जा रही है. भगवान गणेश की इस मूर्ति को मनोकामना मूर्ति के नाम से भी जाना जाता है. भगवान गणेश की इस प्राचीन मूर्ति को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. इसे भूमि फोड़ गणेश मंदिर भी कहा जाता है. क्योंकि भगवान गणेश स्वयं भूमि फोड़कर बाहर निकले और धीरे-धीरे बढ़ते गए. क्योंकि यहां का मंदिर काफी प्रसिद्ध है और इसमें भूमि फोड़ कर निकले गणेश जी की प्रतिमा निरंतर बढ़ती जा रही है. इसलिए इस मंदिर का सेट भी पहले से ऊंचा बनाया जाता है. कभी-कभी तो जमीन में दरारें पड़ती है जब भगवान गणेश की मूर्ति बढ़ने लगते हैं.
सपने में आए थे बप्पा
मंदिर के सदस्य व पार्षद सुनील जैन ने बताया कि, जिला मुख्यालय के मरारापारा (गणेश वार्ड) में लगभग 100 साल पहले जमीन के भीतर से भगवान गणेश प्रगट हुए. सबसे पहले स्व. सुल्तानमल बाफना और भोमराज श्रीमाल की नजर पड़ी. पहले बाफना परिवार के किसी सदस्य के सपने में बप्पा आए थे. जिसके बाद दोनों व्यक्तियों ने स्वयं-भू गणपति के चारों ओर टीन शेड लगाकर एक छोटा-सा मंदिर बनाया था. इसके बाद लोगों की आस्था बढ़ती गई और मंदिर का विस्तार होता गया. इन दोनों के निधन के बाद से उनका परिवार व मोरिया मंडल परिवार के सदस्य पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं.
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मूर्ति का कुछ हिस्सा अभी भी जमीन पर है
बता दें कि गणेश के घुटने तक का कुछ हिस्सा अभी भी जमीन के भीतर है. लोग बताते हैं कि पहले गणेश का आकार काफी छोटा था, लेकिन धीरे धीरे बढ़ता गया. आज बप्पा विशाल स्वरूप में हैं. गणपति का आकार लगातार बढ़ता देख भक्तों ने वहां पर मंदिर बनाया है. मंदिर में दूरदराज के लोग अपनी मनोकामना लेकर आते हैं. मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से इस स्वयंभू गणेश की पूजा कर मनोकामना मांगते हैं, वह पूरी भी होती है.
रिपोर्टर- प्रशांत मिश्रा