मध्य प्रदेश में कुपोषण के कारण रोज औसतन 61 बच्चों की हो रही मौत
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि तमाम कोशिशों के बावजूद शिवराज सरकार कुपोषण पर कंट्रोल में नाकाम साबित हो रही है.
नई दिल्ली/भोपाल: मध्यप्रदेश में कुपोषण के मामले में सामने आए आंकड़े सरकार को मुंह चिढ़ा रहे हैं. महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों से पता चलता है कि तमाम कोशिशों के बावजूद शिवराज सरकार कुपोषण पर कंट्रोल में नाकाम साबित हो रही है. विधानसभा में पेश हुए इन आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी 2018 से मई 2018 के दौरान बच्चों की मौत का आंकड़ा कम नहीं हुआ है. इस दरमियान कुल 120 दिनों में शून्य से एक वर्ष तक के बच्चों की मौत का आंकड़ा 6024 है. वहीं एक से पांच वर्ष तक के बच्चों की मौत का आंकड़ा 1308 है. इन आंकड़ों के अनुसार, 120 दिनों में कुल 7332 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं अगर 120 दिनों के हिसाब से इसका औसत निकालें तो, प्रदेश में रोजाना 61 बच्चों की औसत मौत हुई है. सरकार ने बच्चों की मौत की वजह निमोनिया, डायरिया, बुखार और मीजल्स बताए हैं.
सबसे अधिक मौतों वाले जिलों में भोपाल भी शामिल
सरकार ने जिलेवार जो आंकड़ें पेश किए हैं उनमें कई जिलों में 200 से ज्यादा बच्चों की मौत वाले जिले भी शामिल हैं. इनमें भोपाल, उमरिया, सतना, जबलपुर, गुना, धार और बड़वानी प्रमुख हैं. वहीं, कुपोषण को काबू पाने के बीच कम वजन वाले बच्चों की संख्या के आंकड़े भी जारी किए गए हैं. आंकड़ों में बताया गया कि भोपाल में 1 लाख 75 हजार 910 में से 2145 बच्चे कम वजन के थे. अति कम वजन के बच्चों की संख्या 1685 रही. रायसेन में 1 लाख 24 हजार 53 में से 21,798 बच्चे कम वजन के थे. अति कम वजन के बच्चों की संख्या 1540 रही. सतना, सिंगरौली, सीधी, रीवा, धार, श्योपुर, शिवपुरी, बैतूल, बड़वानी में भी इसी तरह के हालात हैं. वहीं इस मामले पर सरकार का कहना है कि हालात पहले से सुधरे हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनिस का कहना है कि पहले की तुलना में हालात काफी बदले हैं. ये बात दुनिया भर की एजेंसियां स्वीकार कर रही हैं. अर्चना चिटनिस ने कहा कि हालात में सुधार का सिलसिला चलता रहेगा.
पूर्व सीएम और वर्तमान बीजेपी विधायक बाबूलाल गौर ने अपनी ही सरकार पर कुपोषण को लेकर हमला बोला है. बाबूलाल गौर का कहना है कि कुपोषण के लिए सरकार का बजट नाकाफी है. कुपोषण दूर करने के लिए सरकार का जितना बजट है, वो एक बच्चे पर आठ रुपए होता है. उन्होंने कहा कि बाजार में इतनी कीमत पर दूध भी नहीं मिलता है. कुपोषण के मामले पर कांग्रेस ने कहा कि कुपोषण को दूर कर पाने में नाकाम रह पाने की जिम्मेदार मंत्री अर्चना चिटनिस की है और उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.