मुंबई: छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की नवनिर्वाचित कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आते ही भले ही किसानों की कर्ज माफी की घोषणा कर दी हो लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक तीनों ही राज्यों की राजकोषीय हालत में इसके लिये गुंजाइश बहुत कम है. तीनों राज्यों की वित्तीय सेहत ठीक नहीं है. केयर रेटिंग्स की इस रिपोर्ट में कहा है कि मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में किसानों की कर्ज माफी का कुल आकार लगभग 62,000 करोड़ रुपये तक होगा. जबकि तीनों राज्यों के राजकोषीय हालात को देखते हुए इतनी गुंजाइश नहीं है. 


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एजेंसी का कहना है कि मध्य प्रदेश की राजकोषीय स्थिति के अनुसार उसके पास केवल 3,120 करोड़ रुपये, राजस्थान के पास 3,095 करोड़ रुपये और छत्तीसगढ़ के पास 1,195 करोड़ रुपये की ही अतिरिक्त बोझ उठाने की गुंजाइश है. केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम की बाध्यताओं के चलते तीनों ही राज्य इसे वित्त वर्ष 2019-20 में ही लागू कर पाएंगे. 


उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में किसानों की कर्ज माफी में करीब 35 से 38 हजार करोड़ रुपये के बीच और राजस्थान में 18,000 करोड़ रुपये के आस-पास भुगतान करना होगा. उन दोनों के सामने इसे लागू करने में समस्या होगी और उम्मीद है कि वह इसे अगले दो सालों में निपटाएंगे. जबकि छत्तीसगढ़ की स्थिति थोड़ी बेहतर है और उसे इस पर 14,000 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे लेकिन वह भी इसे दो साल में ही निपटा पाएगा.