संदीप भम्मरकर. भोपाल: कांग्रेस को आदिवासियों के युवा संगठन जय आदिवासी युवा संगठन यानी जयस (JAYAS) ने लोकसभा चुनाव को लेकर तीखे तेवर दिखा दिए हैं. आदिवासी इलाके में युवा आंदोलन के प्रमुख नेता रहे जयस के संरक्षक और अब कांग्रेस से विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने कमलनाथ से मुलाकात में दो टूक कह दिया है कि उन्हें तीन लोकसभा सीटों से टिकट चाहिए. ये टिकट किसी आदिवासी युवा को मिलना चाहिए. यहां तक तो ठीक है, लेकिन डॉक्टर हीरालाल अलावा ने ये चेतावनी भी दे दी है कि कांग्रेस ने टिकट नहीं दी तो वे उनके दरवाजे किसी और पार्टी के लिए भी खुले हुए हैं. जयस की कांग्रेस के साथ तनातनी का दौर देखते हुए अब बीजेपी ने जयस पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं. इससे मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले राजनीति का एक दिलचस्प दौर शुरू हो गया है. 


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दरअसल, मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सरकार में आने की एक बड़ी वजह यहां का आदिवासी भी रहा है. यहां लोकसभा की 29 में से 6 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व है. प्रदेश की करीब 21 फीसदी आदिवासी आबादी का 49 प्रतिशत झाबुआ और निमाड़ इलाके में रहने वाले भील आदिवासियों का है. बैतूल-हरदा से शहडोल तक गोंड आदिवासी अपने इलाके में प्रभाव डालते हैं. लेकिन झाबुआ-निमाड़ इलाके में जयस का खासा प्रभाव रहा है. यहां आदिवासी युवाओं के संगठन ने गहरी पैठ बनायी है, लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले जयस के नेताओं ने कमलनाथ से हाथ मिला लिया और उनकी पार्टी के कई नेताओं को कांग्रेस ने टिकट भी दिया. इस रिश्तेदारी का असर ये हुआ कि आदिवासियों की कुल 47 सीटों में कांग्रेस के पास 30 सीटें आ गई. अब लोकसभा चुनाव से पहले इस रिश्तेदारी में दरार पड़ने लगी है. 


जयस संगठन ने आदिवासी युवाओं के लिए धार, खरगौन और बैतूल से टिकट मांगा है. डॉ. अलावा का तर्क है कि वे यहां जीतने की स्थिति में है. सीएम कमलनाथ के साथ हुई मुलाकात में ये राग तो छेड़ा ही, अलग होने की चेतावनी भी दे डाली. अलावा कहते हैं - 'मैं कांग्रेस विधायक बाद में हूं, मेरे लिए पहले समाज है. मैं आदिवासी युवाओं के हक में बात कर रहा हूं. हम चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा आदिवासी युवा लोकसभा में पहुंचे. अगर कांग्रेस नहीं तो कोई और भी हो सकता है.' हालांकि अलावा ये भी कहते हैं कि जवाब में सीएम कमलनाथ ने कहा है कि सर्वे रिपोर्ट और जीतने योग्य नेता होगा तो ज़रूर जयस को ही टिकट दिया जाएगा. 


इस मामले में कांग्रेस का खुलकर कहना है कि वो जयस के साथ है. लेकिन टिकट उसी को मिलेगा जो जीत हासिल कर सकती है. कांग्रेस के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा कहते हैं ऐसे छोटे-मोटे विवाद विधानसभा चुनाव के वक्त भी हुए थे. तब हमने मिल बैठकर मामले को सुलझा लिया था. इस बार भी ऐसा ही होगा. 


आदिवासियों के प्रभावशाली संगठन जयस के इस तेवर के बीजेपी में उम्मीद की किरण नजर आ रही है. बीजेपी सांसद और पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अजय शर्मा इशारा करते हैं कि वो देशहित में काम कर रहे किसी भी संगठन के साथ है. जयस के साथ साझेदारी पर भी पार्टी फैसला ले सकती है. 


मध्य प्रदेश की आदिवासी लोकसभा सीटों को लेकर सीएम कमलनाथ में आज रणनीति बनाने के लिए बैठक बुलाई है. इस मामले में कांग्रेस के सारे आदिवासी विधायकों को भोपाल बुलाए गया है. कांग्रेस के आदिवासी नेताओं के साथ चर्चा करके उन्होंने टिकट को लेकर रिपोर्ट ली है. आखिरी फैसला पार्टी की दिल्ली में होने वाली पार्लियामेंट्री बोर्ड करेगा. कमलनाथ सरकार में मंत्री और आदिवासी सीट से कांग्रेस विधायक बाला बच्चन कहते हैं कि मध्य प्रदेश की सारी आदिवासी सीटें जीतना कांग्रेस का टारगेट है. इस बार 29 में से कांग्रेस 20 सीटें जीतेगी. कमलनाथ सरकार से लोगों में उम्मीद जाग रही है, केवल 70-80 दिनों में ही वो काम कर दिखाया है, जिससे लोगों को सीधा फायदा मिला है.