नई दिल्लीः मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के एक गांव में मानसिक बीमारी से पीड़ित एक व्यक्ति को उसी के परिजनों ने 22 साल से एक खूंटे से बांधकर कमरे में कैद कर रखा है. जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर स्थित हरपुरा गौर गांव में 58 वर्षीय बैजनाथ यादव को खेत में बने एक छोटे से कमरे में जंजीरों से बांधकर अंधेरे में रखे जाने का खुलासा हाल ही में हुआ है. दरअसल, 17 जुलाई को बैजनाथ के बेटे देवीदीन यादव ने पटवारी श्यामलाल अहिरवार से पिता के नाम की जमीन को अपने नाम करवाने के लिए संपर्क किया था. इस पर पटवारी ने पिता की सहमति जरूरी बताई. इस पर देवीदीन ने पटवारी से अपने पिता की स्थिति बताई. इसके बाद पटवारी ने बैजनाथ को एक कमरे में जंजीर से बंधा पाया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मुझे अंधेरे से बचा लो
पटवारी अहिरवार ने बताया कि बैजनाथ के परिवार वालों ने उसे करीब 22 साल से लोहे के खूंटे से बांधकर रखा हुआ है. उन्होंने कहा, "खूंटे से बंधे बैजनाथ को देखकर जब मैं उसके पास गया, तो वह हाथ जोड़कर विनती करने लगा कि इस अंधेरे से बचा लो और इन जंजीरों से छुड़वा दो." इसके बाद पटवारी ने यह बात छतरपुर तहसीलदार आलोक वर्मा को बताई. 


वह 10-12 लोगों के पकड़ने में भी नहीं आते हैं
तहसीलदार ने यह मामला 27 साल से मनोरोगियों के लिए काम कर रहे वकील संजय शर्मा को बताया, जिसके बाद शर्मा उसे छुड़ाने एवं मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराने के लिए 21 जुलाई को हरपुरा गौर गांव उसके घर गये. शर्मा ने कहा कि "हमने उसके परिजनों से उसे बेड़ियों से मुक्त करने को कहा, लेकिन बेटे देवीदीन ने यह कहकर उसे मुक्त करने से इनकार कर दिया कि यदि पिताजी को खुला रखा गया तो वह फिर लोगों को मारने लगेंगे. वह 10-12 लोगों के पकड़ने में भी नहीं आते हैं."


परिजनों को समझाने पर भी नहीं किया आजाद
शर्मा ने कहा, "आश्वासन देने के बाद भी उसका बेटा उसे आजाद करने पर राजी नहीं हुआ. उन्होंने बताया कि बैजनाथ का परिवार अत्यंत गरीब है. उनके पास उसका इलाज के लिए पैसा भी नहीं है. मैंने उसके परिजनों को समझाया था कि बैजनाथ का इलाज संभव है. उसे मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती करा दूंगा. वह स्वस्थ हो जाएगा, लेकिन तब भी वे उसे मुक्त करने के लिए तैयार नहीं हुए’’ 


ग्वालियर की मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती करा दिया जाएगा
इसी बीच, छतरपुर के कलेक्टर रमेश भंडारी ने कहा कि "बैजनाथ के मामले में काउंसलिंग करा ली गई है. बुधवार को जांच के लिए इलाके के तहसीलदार एवं ईशानगर पुलिस थाने की टीम भेजी थी. उसे मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराने के लिए डॉक्टर का प्रमाणपत्र चाहिए, जो अब तक नहीं बन पाया है. शनिवार तक प्रमाणपत्र बन जाएगा और उसके बाद उसे ग्वालियर की मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती करा दिया जाएगा."  (इनपुटः भाषा)