MP पुलिस के इंस्पेक्टर ने कैबिनेट मंत्री को बताया `कुंठित`, दे डाली ऐसी नसीहत
मंत्री के बयान को लेकर इंस्पेक्टर मदन मोहन समर ने सोशल मीडिया (वॉट्सएेप) पर टिप्पणी की है.
भोपाल: मध्य प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ऋषि कुमार शुक्ला को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) का निदेशक बनाए जाने पर कमलनाथ सरकार के मंत्री डॉ. गोविंद सिंह द्वारा की गई टिप्पणी को एक पुलिस अधिकारी ने न केवल गलत ठहराया है, बल्कि मंत्री के बयान को उनकी 'व्यक्तिगत कुंठा' बताया है. शुक्ला को सीबीआई का निदेशक बनाए जाने पर डॉ. सिंह ने उन्हें 'अक्षम' अधिकारी बताया था.
मंत्री के बयान पर निरीक्षक मदन मोहन समर ने सोमवार को सोशल मीडिया (वॉट्सएप) पर टिप्पणी की है. उन्होंने लिखा है- "ऋषि होना आसान नहीं है गोविंद जी, ऋषि कुमार शुक्ला सिर्फ नाम से ऋषि नहीं हैं, वे व्यक्तिगत जीवन में भी ऋषि हैं. प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री और उससे भी अधिक अनुभवी व सम्माननीय राजनीतिज्ञ डॉ. गोविंद सिंह जो स्वयं राज्य के गृहमंत्री रह चुके हैं, के द्वारा प्रदेश के सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के लिए अपशब्दों का उपयोग करना राजनीतिक अपसंस्कृति का उदाहरण है."
समर ने आगे लिखा है- "वर्तमान में शुक्ला प्रदेश के अधिकारियों की सूची में वरिष्ठता में प्रथम स्थान पर हैं, अर्थात् जीवन के साढ़े तीन दशक उन्होंने पुलिस की वर्दी को समर्पित किए हैं. एक ऐसे अधिकारी जिनकी वर्दी और व्यक्तित्व पिछले पैंतीस साल से सिर्फ बेदाग ही नहीं, पूर्णत: शुद्ध है. जो किसी भी गलत के विरुद्ध खुलकर खड़े हुए हैं और बेबाक रहे हैं. उनके लिए बहुत ही अप्रिय शब्द का प्रयोग करना एक मंत्री की व्यक्तिगत कुंठा ही प्रदर्शित करता है, जबकि सत्ता के ये आसन व्यक्तिगत न होकर सार्वजनिक होते हैं."
समर ने सोशल मीडिया पर अपनी यह बेबाक राय तब जाहिर की है, जब मंत्री डॉ. सिंह ने पूर्व डीजीपी शुक्ला पर खुलकर हमला बोला है. कमलनाथ सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी माने जाने वाले शुक्ला को डीजीपी पद से 29 जनवरी को हटा दिया था. पांच दिन बाद शुक्ला का सीबीआई निदेशक के रूप में चयन से हैरान लोगों के बीच चर्चा है कि कांग्रेस चाहे कितना भी जोर लगा ले, 58 लोगों की जान ले चुके व्यापमं घोटाले की जांच की आंच अब शिवराज तक कतई नहीं पहुंच पाएगी.
उल्लेखनीय है कि सर्वाधिक चर्चित व्यापमं घोटाले की जांच सीबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर शुरू की थी. जांच अधिकारी तीन साल बाद भी किसी नतीजे पर तो नहीं पहुंचे हैं, मगर इस मामले को उजागर करने वाले व्यक्ति को हिरासत में जरूर भेज चुके हैं.
(इनपुट-आईएएनएस)