देश में हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश के कई विधायक सांसद बन गए. कुछ विधायकों ने पार्टी बदल ली. ऐसे में अब उपचुनाव की बारी है. फिलहाल ऐलान होना बाकी है, लेकिन राजनीतिक दलों में उपचुनाव ही आहट दिखने लगी है. अमरवाड़ा उपचुनाव के बाद मध्य प्रदेश की दो विधानसभा सीटों सीहोर जिले के बुधनी और श्योपुर जिले के विजयपुर में उपचुनाव की तैयारियां चल रही हैं. इस बीच सबसे ज्यादा चर्चा वीआईपी सीट माने जाने वाली बुधनी विधानसभा सीट की है. यहां खेमेबाजी दिखाई दे सकती है. 


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औपचारिक चर्चाएं शुरू


बुधनी विधानसभा उपचुनाव को लेकर भाजपा में प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर औपचारिक चर्चाएं शुरू हो गई हैं. बुधनी विधानसभा सीट भाजपा के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के लोकसभा सदस्य बनने के बाद रिक्त हुई है. लिहाजा बुधनी विधानसभा उपचुनाव को भाजपा महत्वपूर्ण मान रही है. करीब तीन दशकों से पूर्व सीएम सिंह का प्रतिनिधित्व बुधनी विधानसभा एवं विदिशा लोकसभा से रहा है. लंबे समय से वे अपने परिवार के सदस्य को चुनाव लड़ना चाह रहे हैं. वर्तमान में उनके पुत्र कार्तिकेय सिंह भी सक्रिय राजनीति में हैं. सांसद जी ने हर स्तर अपने पुत्र कार्तिकेय को उपचुनाव लड़ाने के लिए प्रयासरत हैं. 


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जाति के उम्मीदवार को टिकट दिलाने की जुगत


दूसरी ओर पूर्व सीएम के कट्टर समर्थक रमाकांत भार्गव एवं रवि मालवीय भी आस लगाए बैठे हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा भी किसी सवर्ण जाति के उम्मीदवार को बुधनी से टिकट दिलाने के लिए जुगत लगा रहें है. शर्मा के साथ परदे के पीछे से विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर भी किसी सवर्ण उम्मीदवार के पक्ष में हैं. प्रदेश अध्यक्ष वी.डी.शर्मा एवं नरेन्द्र सिंह तोमर की तरफ से राजेंद्र सिंह राजपूत एवं रघुनाथ सिंह भाटी की उम्मीदवारी हेतु लगातार प्रयास चल रहे हैं. 


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अपने गुट में विधायकों की संख्या बढ़ाना चाहते हैं नेता


वर्तमान में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव हैं. वह भी मध्य प्रदेश के हर जिले में अपने समर्थक बनाने में जुटे हैं. साथ ही साथ अपने गुट में विधायकों की संख्या भी बढ़ाने में लगे हुए हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री मोहन यादव अपनी ताकत बढ़ाने के लिए डॉक्टर बरखा वर्मा के नाम का प्रस्ताव राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर के नेताओं के सामने रखने का मन बना चुके हैं. बुधनी एक विशेष चुनावी सीट बनी हुई है, ऐसे में भारतीय जनता पार्टी क्या निर्णय लेती है धीरे धीरे स्पष्ट हो जाएगा.


(ये लेखक के अपने विचार हैं)