Bulldozer action Supreme Court: जमीयत उलेमा ए हिंद ने देश के विभिन्न राज्यों में चल रही बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी है. अर्जी में आरोप लगाया गया है कि सरकार की यह कार्रवाई अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बना रही है. उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हाल ही में ऐसे मामलों की कई रिपोर्टें आई हैं, जहां आरोपियों के घरों को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट में 2 सितंबर को जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी. 


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बता दें कि इस मामले को लेकर मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. भाजपा ने जमीयत उलेमा ए हिंद की आपत्ति पर प्रतिक्रिया दी है, जबकि कांग्रेस ने कानून के तहत बुलडोजर कार्रवाई की वैधता पर सवाल उठाए हैं. भाजपा ने जमीयत की आपत्ति पर सवाल उठाए, यह पूछते हुए कि क्या वे कानून के राज पर आपत्ति उठा रहे हैं या समाज के लिए खतरा महसूस कर रहे हैं. दूसरी ओर, कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि अगर बुलडोजर कार्रवाई कानून के तहत है, तो वे समर्थन करेंगे, लेकिन अगर यह कानून के खिलाफ है, तो वे इसका विरोध करेंगे और मकानों को तोड़ने की कार्रवाई को उचित नहीं मानेंगे.


मध्यप्रदेश में सियासी बयानबाजी
देशभर में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक की मांग को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इसी को लेकर मध्यप्रदेश में सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. कांग्रेस और भाजपा आमने-सामने आईं. भाजपा ने कहा कि जमीयत उलेमा ए हिंद की आपत्ति पर सवाल उठते हैं. क्या वे समाज के लिए खतरा हैं या कानून के राज पर आपत्ति है? सरकार अपराधियों को बख्शेगी नहीं; बुलडोजर कार्रवाई जारी रहेगी.


वहीं, इस मामले को लेकर कांग्रेस ने कहा कि अगर कानून की किताब में बुलडोजर कार्रवाई सही है, तो कांग्रेस समर्थन करेगी. यदि ऐसा नहीं है, तो किस कानून के तहत यह कार्रवाई की जा रही है? अपराधियों पर कार्रवाई कीजिए, लेकिन किसी का मकान तोड़ना सही नहीं है; कानून के विपरीत कार्य कांग्रेस बर्दाश्त नहीं करेगी.


रिपोर्ट: राहुल राठौर (भोपाल)


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