नई दिल्लीः मध्यप्रदेश के कटनी में 5 साल की मासूम से दुष्कर्म करने के मामले में न्यायालय ने चालान पेश होने के महज 5 दिनों में ही सुनवाई पूरी करते हुए आरोपी ऑटो चालक को फांसी की सजा सुनाई है. बता दें मामला 4 जुलाई का है. जब ऑटो चालक राजकुमार ने 5 साल की मासूम को सुनसान इलाके में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया और बच्ची को गंभीर हालत में छोड़कर भाग गया. दरअसल, कटनी के प्रतिष्ठित परिवार ने अपनी बच्ची का दाखिला एक बड़ी स्कूल में कराया था. आरोपी राजकुमार बच्ची को अन्य बच्चों के साथ बच्ची को भी स्कूल ले कर जाता था, लेकिन 4 जुलाई को सभी बच्चों को छोड़ने के बाद वह बच्ची को अपने साथ एक सुनसान इलाके में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

चालान पेश होने के महज 5 दिनों में ही फांसी की सजा
बता दें प्रदेश में दुष्कर्म और दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में केवल तीन महीनों में ही 5 लोगों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है. 2 मामलों में तो शुक्रवार को ही फांसी की सजा का ऐलान किया गया है. कटनी में बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म पर इतनी जल्दी फैसला आना देश का पहला मामला है. प्रदेश में 12 मई को इंदौर में 4 माह की बच्ची के साथ दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने के मामले में मात्र 23 दिन में ही आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई थी. वहीं सागर के ही दुष्कर्म के दो मामलों पर दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई थी.


तीन महीने में 5 को फांसी की सजा
बता दें पॉक्सो एक्ट में बदलाव के बाद 12 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को फांसी की सजा वाला कानून बनने के बाद से प्रदेश में महज तीन महीनों में अब तक 5 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है. वहीं देश में पहली बार कोलकाता में दुष्कर्म के आरोपी को फांसी पर लटकाया गया था. कटनी में बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोपी को सजा सुनाते हुए अपर सत्र न्यायाधीश, माधुरी राजलाल ने कहा कि "बच्चियों के साथ किये गए क्रूर कृत्य के लिए अगर दोषियों को कठोर सजा नहीं दी गई तो यह हमारी भारतीय, सामाजिक और पारिवारिक धरोहर बेटियों के साथ अन्याय होगा."

आरोपी को फांसी की सजा के साथ ही 10 हजार का अर्थ दंड
बता दें मध्य प्रदेश में भी यह पहला मामला है जब न्यायालय ने इतनी जल्दी फैसला दिया है. आईपीसी की धारा 376(2) पॉक्सो एक्ट और 305, 376(2) के तहत मृत्युदण्ड की सजा दी गई है साथ मे 10 हजार रुपये का अर्थ दण्ड भी लगाया गया है. मजिस्ट्रेट माधुरी राजलाल षष्ठम अपर जिला और सत्र न्यायाधीश की अदालत ने यह ऐतिहासिक फैसला दिया है.