भोपाल: मध्‍य प्रदेश चुनाव नतीजों में कांग्रेस से पिछड़ने के बाद बीजेपी ने विपक्ष में बैठने का फैसला लिया है. मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है. उन्‍होंने अपना इस्‍तीफा राज्‍यपाल को सौंपा. अब जल्‍दी ही वह मुख्‍यमंत्री आवास को छोड़ने जा रहे हैं. श्‍यामला हिल्‍स स्थित मुख्‍यमंत्री आवास को छोड़कर अब वह 74 बंगला इलाके में अपने बंगले में शिफ्ट होंगे. इस इलाके में स्थित बंगला नंबर 8 उनका नपया पता होगा. 2005 में जब वह संसद सदस्‍य थे तो इसी बंगले में रहते थे. इस बंगले की सफाई करवा ली गई है.


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इससे पहले मध्‍य प्रदेश (Madhya Pradesh Assembly Elections 2018) के चुनाव नतीजों में बीजेपी के कांग्रेस से पिछड़ने के बाद उन्‍होंने कहा था कि उनकी पार्टी को सबसे ज्‍यादा वोट जरूर मिले लेकिन हमें स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिला. लिहाजा सरकार बनाने का दावा पेश नहीं करेंगे. संख्‍याबल के आगे सिर झुकाते हैं. उन्‍होंने जिस अंदाज में ये बात कही उससे 1996 में वह अटल बिहारी वाजपेयी का वह भाषण याद आ गया जब उनकी 13 दिन पुरानी सरकार अपेक्षित बहुमत नहीं जुटा पाई तो उन्‍होंने लोकसभा में भाषण देते हुए कहा था कि जनता ने विपक्ष को जनादेश नहीं दिया था लेकिन लोकतंत्र में बहुमत का खेल होता है.


शिवराज सिंह चौहान ने इस्‍तीफा देने के बाद कहा कि पराजय की जिम्‍मेदारी मेरी, मेरी और सिर्फ मेरी है. अब मैं पूरी तरह मुक्‍त हैं. पार्टी कार्यकर्ताओं ने अनथक प्रयास किया. हमको वोट भी ज्‍यादा मिले. लेकिन स्‍पष्‍ट बहुमत नहीं मिला. हम कमलनाथ को बधाई देते हैं. इसके साथ ही शिवराज सिंह चौहान ने अटल जी की प्रसिद्ध पंक्तियों का भी जिक्र किया, ''ना हार में, ना जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं, कर्तव्‍य पथ पर जो भी मिले, ये भी सही वो भी सही.''


उसके बाद दोपहर तीन बजे पत्रकारों से बात करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मुझे 13 साल राज्य की सेवा करने का मौका मिला. मैंने मुख्यमंत्री बनकर नहीं परिवार का सदस्य बनकर सरकार चलाने की कोशिश की. जितनी क्षमता मुझमें थी, मैंने अपनी टीम के साथ जनता के कल्याण की कोशिश की. जिस वक्त हमने सत्ता संभाली थी, प्रदेश बदहाली की स्थिति में था. सड़क, बिजली पानी जैसे मुददे अहम थे. मुझे गर्व है ये कहते हुए कि आज आप चाहे बिजली, पानी, ग्रामीण विकास, शहरी विकास, सिंचाई सभी में भरसक कोशिश की कि प्रदेश को विकास की गति में लाया जाए.


शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मेरे कार्यकाल के दौरान साढ़े सात करोड़ मध्य प्रदेश वासियों का यदि दिल दुखा हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं.

शिवराज सिंह ने कहा, 'किसी का दिल दुखे ऐसा काम मैं कभी नहीं करता हूं. मेरे कार्यकाल के दौरान साढ़े सात करोड़ मध्य प्रदेश वासियों का यदि दिल दुखा हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं. हम हमारे केंद्रीय नेतृत्व के आभारी हैं. ये बात सत्य है कि 2009 में हमने 38 प्रतिशत वोट हासिल किए थे सीटें मिली थी 140 से ज्यादा लेकिन इस बार वोट प्रतिशत ज्यादा है लेकिन सीटे कम हैं.'


शिवराज सिंह ने कहा कि केंद्र की इतनी बेहतरीन योजनाओं, राज्य सरकार की बेहतरीन योजनाओं के बावजूद भी यदि राज्य में हम हारे हैं तो इसके लिए जिम्मेदार मैं हूं. कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में जो वचन दिए है मुझे विश्वास है कि कांग्रेस अपने वायदे को पूरा करेगी. उन्होंने कहा था कि 10 दिन में यदि हमारे सीएम ने कर्ज माफ नहीं किया तो हम उसे बदल देंगे.


बसपा ने दिया कांग्रेस को समर्थन
इससे पहले मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सभी 230 सीटों के परिणाम आने के बाद 114 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस को बसपा समर्थन देगी. खुद बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में यह ऐलान किया. राज्‍य में बसपा को दो सीटों पर जीत हासिल हुई है. इस तरह राज्‍य में कांग्रेस को बीएसपी के समर्थन से बहुमत का 116 सीटों का जादुई आंकड़ा हासिल हो गई है और अब वह सरकार बनाने का दावा राज्‍यपाल के सामने पेश कर सकते हैं. बीजेपी को 109 सीटें मिली हैं.


शिवराज सिंह बोले- 'नेता प्रतिपक्ष तो पार्टी तय करेगी, लेकिन मैं नेता रहूंगा'


मायावती ने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी गलत नीतियों की वजह से चुनावों में हारी है. हालांकि उन्‍होंने साथ ही यह भी कहा कि राज्‍यों के विधानसभा चुनाव में हम अपेक्षा के मुताबिक सीटें जीतने में कामयाब नहीं हुए, लेकिन मैं हमारी पार्टी के सभी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं का धन्‍यवाद करती हूं.


उन्‍होंने कहा कि दिल पर पत्‍थर रखकर तीनों राज्‍यों में जनता ने कांग्रेस को चुना. साथ ही उन्‍होंने कांग्रेस के लिए भी कड़ा संदेश दिया. उन्‍होंने कहा कि पिछड़े वर्गों के लोगों की कांग्रेस पार्टी के राज के दौरान ही ज्‍यादा उपेक्षा रही है व बीजेपी के राज में भी इनकी उपेक्षा होनी बंद नहीं हुई.