Agar Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. 17 नवंबर को मतदान किया डाले जाएंगे.  ऐसे में राजनीतिक दल एक-एक विधानसभा सीट पर तैयारियों में जुटे हैं. वहीं आगर मालवा जिले की आगर विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. आगर विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए सुरक्षित सीट मानी जाती है और यहां पर लंबे समय से बीजेपी का दबदबा रहा है. लेकिन 2020 के उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी से यह सीट छीन ली.


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बता दें कि पिछली बार तो ये सीट कांग्रेस ने बीजेपी से छीन ली थी, लेकिन अब यहां पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला होने के आसार है. इस बार कांग्रेस ने आगर से विपिन वानखेड़े को टिकट दिया है और बीजेपी ने मधु गहलोत को टिकट दिया है.


आगर सीट का जातीय समीकरण
आगर विधानसभा सीट के जातीय समीकरण की बात की जाए तो यहां सबसे ज्यादा वोट मालवीय समाज के हैं. जिनकी संख्या करीब 45 हजार है. वहीं यहां दूसरा सबसे बड़ा समाज सोंध्या समाज का है. जिनकी जनसंख्या करीब 25 हजार है. यहां अनुसूचित और पिछड़ा वर्ग के लोग जीत हार का अंतर तय करते हैं. इसके अलावा राजपूत और ब्राह्मण समाज भी अपना वर्चस्व रखता है.


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आगर विधानसभा कुल मतदाता-  2 लाख 27 हजार 79 
पुरुष मतदाता-   1 लाख 17 हजार 238 
महिला मतदाता - 1 लाख 9 हजार 836


आगर विधानसभा सीट राजनीतिक इतिहास 
आगर विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात की जाए तो बीजेपी के लिए ये सीट मजबूत गढ़ रहा है. 1980 से लेकर यहां 9 चुनाव हुए है. जिसमें से सिर्फ 2 बार कांग्रेस को जीत मिली है. बाकी 7 बार बीजेपी ने बाजी मारी है. 1990 और 1993 में बीजेपी को जीत मिली थी. लेकिन 1998 के चुनाव में कांग्रेस के रामलाल मालवीय जीते थे. इसके बाद बीजेपी को ही जीत मिली. मनोहर उटावल 2013 के बाद 2018 के चुनाव में जीते थे.


2020 में हुआ उपचुनाव
हालांकि 2018 का चुनाव जीतने के 2 साल बाद मनोहर उटावल का यहां से निधन हो गया और 2020 में आगर सीट पर उपचुनाव हुए. कांग्रेस के प्रत्याशी विपिन वानखेड़े और  बंटी उटावल के बीच यहां मुकाबला हुआ. जिसमें वानखेडे ने 1,998 मतों के अंतर से बीजेपी प्रत्याशी को हरा दिया.