Amit Shah क्यों भेदना चाहते हैं Kamalnath का गढ़? इतिहास के आंकड़े बताते हैं छिंदवाड़ा का सियासी समीकरण
Amit Shah Visit Chhindwara For MP Assembly Election 2023: BJP के लिए सबसे बड़ी चुनावी चुनौती है कमलनाथ (Kamalnath) का गढ़ कही जाने वाली छिंदवाड़ा सीट. इसी कारण भाजपा (BJP) की नजरें इस बार यहीं टिकी हुई है. 25 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दौरा है, जिसे बीजेपी महाविजय का उद्घोष बता रही है. क्या है छिंदवाड़ा सीट का इतिहास और आंकड़े और क्यों है ये महत्वपूर्ण सीट जानिए
MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव की बात आती है तो कांग्रेस (Congress) से तीन नाम सबसे पहले लिए जाते रहे हैं. सिंधिया, दिग्विजय और कमलनाथ. तीनों कांग्रेस के सबसे मजबूत पिलर रहे हैं. सिंधिया के बीजेपी (BJP) में आने के बाद अब कांग्रेस की मजबूत कड़ी है कमलनाथ और दिग्गी. इन्हीं में से एक का गढ़ है छिंदवाड़ा, जिसे भेदना बीजेपी के लिए काफी टेढ़ी खीर है. छिंदवाड़ा कांग्रेस की वो सीट है जिसपर हमेशा से उनका कब्जा रहा है. इसी की काट के लिए बीजेपी के दिग्गज लगातार यहां दौरे कर रहे हैं. 25 मार्च को गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) भी यहां आकर आदिवासी समुदाए को साधेंगे
क्यों महत्वपूर्ण है ये सीट
बीजेपी का कहना है कि यहीं से भाजपा महाविजय का उद्घोष करने जा रही है. क्यों महत्वपूर्ण है ये सीट जानते हैं. इसका जीत और हार का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है. मध्य प्रदेश में हमेशा ही विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी हलचल तेज होती है तो उसमें छिंदवाड़ा सीट भी चर्चा में रहती है. इसी कारण भाजपा कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा से महाविजय का उद्घोष कर जीत हासिल करने की कोशिश करेगी. 25 मार्च को गृह मंत्री अमित शाह इसमें नया आयाम जोड़ने वाले हैं.
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शाह का दौरा,जीत का मंत्र
छिंदवाड़ा सीट कितनी जरूरी है इसका अंदाजा इस बात से लागइए कि लगातार यहां दिग्गजों का जमावड़ा लग रहा है. चुनावी बिसात के लिए अमित शाह आ रहे हैं. उनके दौरे से पहले ही बीजेपी ने जीत का दावा करते हुए बयान दिया कि कांग्रेस इस भ्रम में ना रहे कि छिंदवाड़ा उनका गढ़ है. ये भ्रम जल्द ही टूट जाएगा. इससे पहले शिवाजी जयंती पर सीएम शिवराज सिंह भी छिंदवाड़ा के सौंसर के दौरे पर आए थे.
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र
छिंदवाड़ा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. राजनीतिक पार्टियां लगातार आदिवासी समुदाए को साधने की कोशिश कर रही है लेकिन छिंदवाड़ा की सियासी जमीन पर कांग्रेस की जड़ें बहुत गहरी हैं और इससे पार पाना भाजपा के लिए इतना आसान नहीं होगा. कई दशकों से यहां कांग्रेस ने एक तरफा राज किया है. बीजेपी साल 2018 विधानसभा चुनाव में 7 विधानसभा सीटों में एक भी सीट पर जीत नहीं हासिल कर पाई थी.
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मोदी की लहर भी नहीं आई काम
छिंदवाड़ा एक ऐसा लोकसभा क्षेत्र है जहां पर न तो मोदी की लहर काम आई थी और ना ही सिंधिया की दहाड़. यहां सिर्फ काम किया था कमलनाथ का फरमान. साल 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने प्रदेश की 29 सीटों में से 28 सीटें अपने नाम की मगर छिंदवाड़ा एक ऐसा संसदीय क्षेत्र रहा जहां पर भाजपा जीत हासिल नहीं कर पाई और वो भी मोदी लहर के बावजूद
छिंदवाड़ा का इतिहास
मध्यप्रदेश में लोकसभा की कुल 29 सीटें हैं. साल 2014 में जब केंद्र में भाजपा आई तो एमपी में भाजपा को 27 सीटें मिली और 2 सीटें कांग्रेस के खाते में गई. इसमें एक सीट छिंदवाड़ा भी थी जहां पर पूर्व सीएम कमलनाथ विजयी हुए थे. कमलनाथ यहां से 9 बार सांसद रह चुके हैं. इस सीट पर इतिहास में अब तक हुए लोकसभा चुनावों में एक बार 1997 में भाजपा का कब्जा हो पाया था. बाकि हमेशा से ही यह कांग्रेस के खाते में रही है.
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छिंदवाड़ा का वोटबैंक
छिंदवाड़ा की आबादी लगभग 21 लाख के आसपास है. यहां पर लगभग 75 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है. गांवों में आबादी अधिक होने की वजह से सरकार लगातार छिंदवाड़ा में अपनी सियासी जमीन बनाना चाह रही. छिंदवाड़ा में कई कंपनिया हैं जो कमलनाथ की देन है. अब भाजपा आदिवासियों के जरिए यहां पर पकड़ बनाने की कोशिश कर रही है. अब देखने वाली बात होगी कि आने वाले विधानसभा में पार्टी कितनी सफल होती है.