नई दिल्ली: देश के पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley Death Anniversary) की आज तीसरी पुण्यतिथि है. उनके कार्यकाल में देश में जीएसटी और नोटबंदी जैसे चर्चित फैसले लिए गए थे. वैसे तो अरुण जेटली की राजनैतिक सक्रीयता पूरे देश में रही, लेकिन मध्यप्रदेश की राजनीति से उनका खास नाता रहा. ये कहना भी गलत नहीं होगा कि एमपी को भाजपा का गढ़ बनाने में बड़ा योगदान रहा है. मध्यप्रदेश का चुनावी प्रभारी बनाए जाने के बाद अरुण जेटली ने साल 2003 में होने वाले चुनाव की तैयारी 2002 से ही शुरू कर दी थी. उन्होंने हर गांव-शहर का दौरा किया और एमपी के जमीनी हालात को जाना था. 


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दरअसल 2003 में हुए एमपी में विधानसभा चुनाव के दौरान चुनावी प्रचार से लेकर बीजेपी को सत्ता में लाने में अरुण जेटली की भूमिका काफी रही है. राजनीतिक जानकारों की माने तो अरुण जेटली की रणनीति औऱ उमा भारती के दम पर बीजेपी सरकार बनाने में कामयाब हुई थी. बता दें कि अरुण जेटली चुनाव के एक साल पहले यानी 2002 में ही सक्रिय हो गए थे, इसके अलावा वो 3 महीनों तक एमपी में रहकर ही बीजेपी के लिए प्रचार कर रहे थे.


जेटली औऱ उमा ने छिनी दिग्विजय की कुर्सी
2003 में हुए विधानसभा चुनाव के टाइम अटल बिहारी वाजपेयी भारत के पीएम थे और वैंकैया नायडू बीजेपी के अध्यक्ष थे. खास बात ये कि दोनों ही दिग्गज नेता जेटली की ऱणनीतियों को काफी पसंद करते थे. ये ही वजह थी कि दोनों ने ही अरुण जेटली को मध्यप्रदेश में बीजेपी के प्रचार के लिए भेजा था. गौरतलब है कि 2003 से पहले तक मध्यप्रदेश को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था. यहां कांग्रेस के दिग्गज दिग्विजय सिंह 10 सालों से सत्ता पर काबिज थे. इसलिए भाजपा ने अरुण जेटली की रणनीतियों और उमा भारती के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ा और भाजपा को प्रदेश में सत्ता भी दिलाई.


कैलाश विजयवर्गीय ने बताया बंटाधार शब्द कैसे आया
अरुण जेटली का जब निधन हुआ था, तब कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि, 'मैं विद्यार्थी परिषद के समय से उन्हें देखता आ रहा हूं, 1974 में जब वो दिल्ली विश्वविद्यालय परिषद के अध्यक्ष थे तब हमने उन्हें मध्यप्रदेश के विद्यार्थी पारिषद सम्मेलन में बुलाया था. तब से मेरा उनके साथ सीधा संबंध था. उसके बाद, युवा मोर्चा, पार्टी और कई केस के संबंध में उनसे मुलाकात होती रही. वे मध्यप्रदेश चुनाव के प्रभारी रहे, दिग्विजय सिंह के लिए 'बंटाधार' शब्द उन्होंने ही दिया था, उमा जी के नेतृत्व में महने मध्य प्रदेश चुनाव जीता था. उनके साथ कई सारी यादें जुड़ी हैं.


साल 2019 में हुआ निधन
गौरतलब है कि साल 2019 में 24 अगस्त को पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का निधन हो गया था. 28 दिसंबर 1952 में जन्मे अरुण जेटली एनडीए सरकार में कई बड़े पद पर आसीन रहे. मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली वित्त मंत्री के पद पर थे. सेहत खराब होने के कारण उन्होंने दूसरे कार्यकाल में किसी भी पदभार संभालने से मना कर दिया था.