नीलम दास पडवार/कोरबा: कोरबा जिले के बालको के सेक्टर 5 में संचालित स्वामी आत्मानंद गवर्मेंट इंग्लिश मीडियम स्कूल (SAGES) में दोपहर में मिलने वाले मिड डे मील को खाने वाले छात्रों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, जिसका कारण वहां परोसा जा रहा गुणवत्ताहीन खाना है. ये हम नहीं स्कूल के छात्र-छात्राएं और प्रिंसिपल का आरोप है. छात्र-छात्राओं और प्रिंसिपल का आरोप है कि, वर्तमान में मिड डे मील बनाने वाली समूह के द्वारा गुणवत्ताहीन खाना परोसा जाता है. वहीं हाइजीन का भी ध्यान समूह द्वारा नहीं रखा जा रहा है.


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छात्र नहीं खा रहे खाना
स्कूलों में दर्ज संख्या बढ़ाने,उपस्थिति बढ़ाने,बच्चों के पौषणिक स्तर में सुधार, बच्चों के मध्य जाति व वर्ग के अवरोध को मिटाने और स्कूल की भागीदारी में लैंगिक अंतराल को कम करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा मिड डे मील योजना शुरू की गई है. जिसके तहत पूरे देश के प्राथमिक और लघु माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दोपहर का भोजन निःशुल्क प्रदान किया जाता है. लेकिन कोरबा जिले के बाल्को क्षेत्र की सेक्टर 5 में संचालित स्वामी आत्मानंद गवर्नमेंट इंग्लिश मीडियम स्कूल में वितरित मिड डे मील में मिलने वाले भोजन के प्रति स्कूली छात्र-छात्राओं में रुचि घटती जा रही है.


 ये है कारण
 पिछले साल तक 500 की संख्या में छात्र -छात्राएं मिड डे मील खाती थी लेकिन इस साल महज 200 से 250 बच्चे ही मिड डे मील ले रहे हैं. बाकी अपना खाना घर से लेकर आ रहे हैं. जब बच्चों से मिड डे मील से खाना नहीं खाने को लेकर पूछा गया तो उन्होंने मिड डे मील बनाने वाले समूह पर गुणवत्ताहीन खाना परोसने का आरोप लगाते कहा कि, चावल में आए दिन कंकड़ मिलता है. दाल पतली रहती है. कभी नमक ज्यादा तो कभी कम रहता है. इस वजह से यहां का खाना हम लोग नहीं खाते हैं और घर से टिफिन लेकर आते हैं. वहीं छात्र-छात्राओं ने वर्तमान महिला समूह के सदस्यों द्वारा बच्चों के साथ अभद्र व्यवहार करने का आरोप लगाते कहा कि पिछले वर्ष खाना अच्छा बनता था इसलिए यहां खाना खाते थे. लेकिन इस बार दूसरे समूह को जो खाना बनाने की जिम्मेदारी दी गई है उसमें गुणवत्ता में कमी रहती है.


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गौरतलब है कि सत्र 2022-23 में इस स्कूल को जब SAGES का दर्जा मिला था तब स्थानीय एकता समूह द्वारा मध्यान भोजन बनाया जाता था. उस समय गुणवत्तायुक्त खाना मिलने से मिड डे मील लेने वाले छात्रों की संख्या 500 के करीब होती थी. लेकिन वर्तमान में उज्वला समूह द्वारा high court से अपने पक्ष में stay order ले लिया गया तबसे उनके द्वारा भोजन बनाए जा रहे हैं, जिसमें गुणवत्ता में कमी की बात सामने आ रही है. मिड डे मील खाने वाले बच्चों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. छात्र-छात्राओं के आरोपों की पड़ताल करने जब हम मिड डे मील वितरित किए जा रहे जगह पर जाकर देखा तो उनका आरोप बहुत हद तक सही था.


जिला शिक्षा अधिकारी ने दिए निर्देश
जब वर्तमान में मिड डे मील बनाने वाले उज्जवला समूह की महिला सदस्य शबाना अंसारी से हमने गुणवत्ताहीन खाना परोसे जाने के मामले में पूछा तो उन्होंने छात्र-छात्राओं के लगाए सभी आरोपों को नकारते हुवे इसे पूर्व में मिड डे मील चलाने वाले समूह का षणयंत्र बताया. पूरे मामले का संज्ञान जब जिला शिक्षा अधिकारी को कराया गया तो उन्होंने खाने में सुधार के निर्देश दिए हैं. वहीं जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि यदि आगे भी गुणवत्ता में सुधार नहीं किया जाता तो समूह को हटाने का भी कार्य किया जाएगा.