आशीष श्रीवास, बालाघाट: दहेज प्रथा (dowry system) को लेकर देश भर में कई तरह की मुहिम चलाई जा रही है. देखा जाता है कि तमाम एनजीओ दहेज प्रथा रोकने के लिए लोगों को सजग करते हैं. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बालाघाट जिले (Balaghat News) में एक किसान के बेटे ने दहेज न लेकर शादी करके समाज को संदेश देने का काम किया है. शादी के पहले लड़के की जिद थी की बिना दहेज लिए शादी करेगा.


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दहेज में लिया ये शगुन
बताया जा रहा है कि शादी के पहले लड़के की पहली शर्त थी कि किसी तरह का कोई दहेज स्वीकार नहीं किया जाएगा. इसे लेकर के वो अड़ा रहा और शादी में सिर्फ शगुन के के रुप में पांच बर्तन स्वीकार किया. बता दें कि बालाघाट जिले के अंतर्गत कुम्हारी गांव  निवासी चोबेलाल लिल्हारे के बेटे हंसराज की शादी लालबर्रा के गांव सेल्वा निवासी स्वर्गीय प्रतापलाल डेहरे की बेटी रोशनी के साथ हुई.


 



 


कार्ड में लिखवाया ये
शादी में छपने वाले कार्ड में भी युवक ने संदेश दिया. युवक ने बताया कि मेरे द्वारा दहेज न लेने की बात हो रही थी. जिसको लेकर समाज में विरोध होने लगा और लोग कहने लगे कि दहेज प्रथा समाप्त की बात करता रहता है. लेकिन परिवार के लोगों ने मेरा साथ दिया और कहा कि तुम्हारा फैसला सही है.


फिर समाज के लोगों को समझाया गया जिसके बाद सभी शादी के लिए मान गए. इसके शादी तय हुई. इस दौरान  शादी के आमंत्रण कार्ड पर भी छपवाया गया की 'एक कदम दहेज प्रथा के खिलाफ' जिसकी लोग सराहना कर रहे हैं.


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दहेज प्रथा
दहेज प्रथा चिंता का विषय है. अक्सर देखा जाता है कि लोग दहेज के लालच में शादी करते हैं. इसका असर ये भी देखा जाता है कि लड़की पक्ष के लोग दहेज के लिए कर्ज में भी डूब जाते हैं. ऐसा वो इसलिए करते हैं ताकि उनकी बेटी सुखी रहे. मगर ऐसे समय में युवक ने दहेज के खिलाफ आवाज उठाई और अपने शादी के माध्यम से लोगों को संदेश दिया है.