दमोह में भागवत कथा के दौरान बड़ा हादसा, श्रोताओं के ऊपर गिरा पंडाल
Damoh News: दमोह जिले के गौरीशंकर मंदिर (Gaurishankar Temple)के मैदान में हो रही भागवत कथा के दौरान आंधी और बारिश होने की वजह से पंडाल गिर गया. जिसकी वजह से लगभग 200 लोगों को चोट आई है. कथा के दौरान पंडाल में करीब 3 हजार लोग मौजूद थे.
Damoh Bhagwat Katha pandal gira: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दमोह जिले (Damoh district) में एक बड़ा हादसा होते - होते टल गया. जिले के गौरीशंकर मंदिर के मैदान में हो रही भगवत कथा (Bhagwat Katha)के दौरान अचानक पंडाल गिर (Pandal Fell) गया. जिसकी वजह से करीब दो सौ से ज्याादा लोगों को चोटें आई हैं. एक दो श्रोताओं को छोड़कर बाकी सभी सामान्य हैं. भागवत कथा के दौरान तेज आंधी चलने लगी और हल्की बारिश भी होने लगी जिसकी वजह से ये हादसा हो गया.
3 हजार लोग थे मौजूद
मंदिर में चल रही भगवत कथा वाचक ललित वल्लभाचार्य जी सुना रहे थे. इसी दौरान काफी तेज आंधी चलने लगी और मौसम में बदलाव आ गया. अचानक बारिश होने लगी और बारिश की वजह से देखते ही देखते तेज आंधी ने कथा का पंडाल जमींदोज कर दिया. जिस समय ये हादसा हुआ उस समय पंडाल में करीब तीन हजार लोग मौजूद थे. पंडाल गिरने से अफरातफरी मच गई और सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने मोर्चा संभाला और लोगों को सुरक्षित निकाला.
धीरेंद्र शास्त्री की कथा
मध्य प्रदेश में बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री की भी कथा चल रही है. उनकी कथा के दौरान भी देखा गया है कि हजारों की संख्या में लोग कथा का रसपान करने पहुंचते हैं. ऐसे में अत्यधिक भीड़ किसी अनहोनी को दावत दे सकती है. हालांकि अभी तक ऐसा कोई मामला धीरेंद्र शास्त्री के कथा के दौरान सामने नहीं आया है, लेकिन इस हादसे के बाद लोगों को सावधान रहने की जरूरत है.
कुबेरेश्वर धाम
हाल में ही देखा गया था कि कुबेरेश्वर धाम सीहोर के पंडित प्रदीप मिश्रा के रूद्राक्ष महोत्सव में भारी संख्या में लोग आए हुए थे. लोगों की संख्या की वजह से शहर भर में जाम की स्थिति के अलावा परिवहन की भी समस्या सामने आई थी. जिसको लेकर के प्रशासन ने कहा था कि उम्मीद से ज्यादा भीड़ होने की वजह से ऐसी परिस्थितियां हुई हैं.
कथा के दौरान गिरा था पंडाल
बीते फरवरी में एमपी के बुरहानपुर में चल रही प्रसिद्ध कथाकार पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा के दौरान अचानक पंडाल गिर गया था जिसकी वजह से 6 लोगों को चोटें आई थी. उस समय भी पंडाल में श्रोताओं की भारी संख्या थी. ऐसे में कथा के दौरान हो रही लोगों की भीड़ किसी अनहोनी का कारण न बने इसके लिए सजग रहने की जरूरत है.