प्रदीप शर्मा/भिंडः जिले में जिला प्रशासन की बड़ी लापरवाही के चलते एक एक बार फिर मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आयी है. नौधनी गांव में मुक्तिधाम ना होने के चलते 90 साल की एक वृद्ध महिला की मौत के बाद खुले आसमान के नीचे अंतिम संस्कार कराया गया है. जहां पर बरसात के चलते अंतिम संस्कार में पहुंचे लोगों और अर्थी को बारिश से बचाने के लिए त्रिपाल का सहारा लेना पड़ा.


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जानिए पूरा मामला
दरअसल भिंड जिले की रोन जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली नोधा पंचायत के मजरा नोंधनी में आज रामनरेश की 90 साल की बृद्ध माताजी फूला देवी का अचानक निधन हो गया, बीती रात से ही अंचल में हो रही बारिश के चलते परिजनों के लिए वृद्ध महिला के अंतिम संस्कार का संकट सामने खड़ा हो गया, क्योंकि नोधनी मजरा में मुक्तिधाम नहीं होने के चलते बारिश में कैसे अंतिम संस्कार हो, इसके लिए परिवार और रिश्तेदारों ने पहले तो त्रिपाल मंगाई. उसके बाद डेड बॉडी को जलाने के लिए लकड़ी के साथ-साथ अन्य ज्वलनशील पदार्थों जैसे चीनी, डीजल, पेट्रोल का भी उपयोग करना पड़ा. तब कहीं जाकर के वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार हो सका.


जानिए क्या कहा ग्रामीणों ने
ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार जिला प्रशासन द्वारा लगाए गए शिविरों में प्रशासन से मुक्तिधाम बनवाने की मांग की गई. साथ ही लगातार दूसरी बात सरपंच बने दयाशरण खरे से भी गुहार लगाई गई. लेकिन किसी के कानों तक जूं नहीं रेंगी. जिसका परिणाम आज सामने आ गया और एक वृद्ध महिला का अंतिम संस्कार परेशानियों के बीच खुले आसमान के नीचे बारिश मैं तिरपाल के सहारे करना पड़ा. वहीं जब इस मामले में जिला पंचायत सीईओ जेके जैन पूछा गया तो उनका पिछले कई बार की तरह रटा-रटाया जवाब था कि कि मीडिया के द्वारा ही उनको जानकारी मिली है, और वह मामले की जांच कराएंगे, और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कराएंगे. आपको बता दें बीते साल 22 सितंबर को भिंड के ही अजनोल गांव में मुक्तिधाम ना होने के चलते बारिश में ग्रामीणों ने बीच सड़क पर अंतिम संस्कार किया था. वहीं 21 अगस्त को चौकी गांव में पाइप और टीन के तख्ती लगाकर महिला का अंतिम हुआ था. गोहद के मानपुरा गांव में मैं भी वृद्ध महिला की अंतिम संस्कार में त्रिपाल ताननी पड़ी थी,


1 नवंबर तक होने थे जिले के सभी गांव में मुक्तिधाम के निर्माण
इन तीनों घटनाओं के बाद जिला पंचायत सीईओ जेके जैन ने 1 नवंबर तक सभी पंचायतों में मुक्तिधाम बनवाने के आदेश जारी कर दिए थे. लेकिन सरपंच सचिवों ने आदेशों को ठेंगा दिखाकर मुक्तिधाम तो बनवाना दूर अंतिम संस्कार के लिए किसी भी प्रकार की अस्थाई व्यवस्था तक नहीं की गई, जबकि नोंधनी गांव में मुक्तिधाम बनवाने के आदेश छ महीन पहले ही मिल चुके हैं, लेकिन सरपंच सचिव की लापरवाही के चलते मुक्तिधाम का निर्माण नहीं हो सका, अब देखने वाली बात होगी जिला प्रशासन लापरवाही करने वालों पर क्या कार्रवाई करता है.


शर्मसार होती रही सरकार
सरकार की तमाम पंच परमेश्वर तथा मनरेगा जैसी योजनाओं के तहत जहां हर वर्ष हर पंचायत में लाखों रुपयों के कागजी काम के नाम पर भ्रष्टाचार होता है, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की सांठगांठ से जन हितैषी कार्य भृष्टाचार की भेंट चढ़ जाते है. लेकिन आज भी कई गांव ऐसे है जहां आज तक न तो शमशान घाट पर टीनशेड लगाया है न ही वहां तक पहुंचने के लिए रोड है, कुछ माह पहले भी अजनोल गांव से शमशान ना होने के चलते सड़क पर अंतिम संस्कार करने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. तब भिंड कलेक्टर ने सचिव को निलंबित कर तत्काल श्मशान बनाने के आदेश जारी किए थे, इस मामले में जिला पंचायत सीईओ जेके जैन का कहना है, उनको मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली है पूरे मामले की जांच कराकर दोषियों को कार्रवाई करेंगे.


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