नई दिल्ली: EPF खाताधारकों के लिए एक बड़ी खबर आ रही है. केंद्र सरकार ने 1 अप्रैल से नया कानून लागू करने की तैयारी की है. इसके बाद PF खाताधारकों के लिए कुछ नियम बदल जाएंगे. 1 अप्रेल से खातों पर कर मुक्त योगदान पर अघोषित सीमा के तहत टैक्स लगेगा. यानि गैर सरकारी कर्मचारियों के लिए ट्रैक्स फ्री योगदान 2.5 लाख रुपए से ज्यादा की राशि होने पर ये राशि टैक्स के दायरे में आएगी. इसके अलावा सरकारी कर्मचारियों के लिए आंकड़ा 5 लाख रुपए की सीमा का है.


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आसान भाषा में समझे तो यदि कोई गैर सरकारी कर्मचारी अपने पीएफ खाते में ढाई लाख रुपए से ज्याद जमा करेगा तो वो टैक्स के दायरे में आएगी. साथ ही सरकारी कर्मचारियों के लिए 5 लाख रुपए से ज्यादा जमा करने पर अतिरिक्त राशि पर टैक्स लगेगा. बता दें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कर्मचारी भविष्य निधि के योगदान के भुगतान में देरी होने पर नियोक्ता को हर्जाने का भुगतान करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भविष्य निधि के लिए नियोक्ता पर अनिवार्य कटौती की जाएगी. इपीएफ कार्यालय में राशि श्रमिकों के खाते में जमा करने का दायित्व नियोक्ता पर होगा.


EPFO खातों में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की मूल आय और महंगाई भत्ता 24% के अनुपात में होता है. इस ईपीएफ खाते में जमा पैसों पर सरकार हर साल ब्याज तय करती है. आज की बात करें तो ब्याज दर 8.5 फीसदी है. इसका फर्क उच्च सेवानिवृत्ति निधि पर पड़ता है. इसके अलावा, चक्रवृद्धि ब्याज इतनी अच्छी तरह से काम करता है कि 25 साल के लिए निवेश कर आप करोड़पति बन जाएं. पीएफ खाते में हर महीने डाले जाने वाले पैसे का इस्तेमाल ब्याज की गणना के लिए किया जाता है. इसे साल के अंत में जमा किया जाता है. ईपीएफओ के दिशा-निर्देशों के अनुसार, अगर चालू वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन शेष राशि से एक वर्ष में कोई नकद निकाला जाता है, तो उस पर 12 महीने का ब्याज घटाया काटा जाता है. ईपीएफओ हमेशा खाते की शुरुआत और समापन राशि पर गणना करता है. इस आंकड़े पर पहुंचने के लिए मासिक रनिंग बैलेंस को ब्याज दर / 1200 से जोड़ा और गुणा किया जाता है.


 


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