अरुण त्रिपाठी/उमरिया: जिले के विश्वविख्यात बांधवगढ टाइगर रिसर्व  (Bandhavgarh Tiger Reserve of Umaria district) के किले पर स्थित भगवान बांधवाधीश के मंदिर में जन्माष्टमी के मौके पर पम्परागत रूप से आयोजित होने पर मेले पर पार्क प्रशासन की रोक से रीवा रियासत के उत्तराधिकारी एवं रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा से विधायक दिव्यराज सिंह गुरुवार को दोपहर बाद से अपने समर्थकों के साथ टाइगर रिजर्व के मुख्य प्रवेश द्वार ताला गेट के सामने धरने पर बैठ गए. इस दौरान उनके साथ उनके पिता एवं रीवा रियासत के अंतिम महाराजा एवं पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह भी मौजूद रहे.


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इस वर्ष से मेले पर प्रतिबंध लगा दिया गया
विधायक दिव्यराज सिंह ने पार्क प्रबंधन के ऊपर जंगली हाथियों के खतरे का शिगूफा छोड़कर सदियों से चली आ रही जनआस्था से खिलवाड़ का आरोप लगाते हुए कहा कि बांधवगढ टाइगर रिसर्व के किले में स्थित भगवान बांधवाधीश के मंदिर में पार्क के गठन और देश की आजादी से पहले मेला लगता रहा है. प्रबंधन जबरन इसे बंद करने पर तुला है. जब तक उनकी मांग नहीं मानी जाती, वे पार्क के प्रवेश द्वार पर धरने पर बैठेंगे.बता दें कि रीवा रियासत के शासक महाराजा मार्तण्ड सिंह ने बांधवगढ किले के आसपास 84 वर्ग किलोमीटर का अपनी निजी स्वामित्व का जंगल मध्यप्रदेश वन विभाग को वन्य जीव सरंक्षण के लिए दान कर दिया था. जिसके बाद भी किले में मेले के आयोजन की परंपरा जारी रही, लेकिन इस वर्ष से मेले के आयोजन में रोक लगा दी गई है.


हाथियों से जान-माल का खतरा
वहीं पार्क प्रबंधन किले के ऊपर मेले के आयोजन करने से आम जनता को पार्क में मौजूद जंगली हाथियों से जान-माल का खतरा होने का हवाला दे रहा है. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कलेक्टर, एसपी समेत पार्क के अधिकारियों ने किला मार्ग का निरीक्षण किया. प्रशासन का दावा है कि अभी भी किला मार्ग में जंगली हाथी मौजूद हैं, जो भारी संख्या में लोगों के पार्क में प्रवेश से भड़क सकते हैं और स्थिति खतरनाक हो सकती है. लिहाजा प्रशासन ने किले के नीचे प्रवेश द्वार के पास मेला आयोजित करने की व्यवस्था की है.



 


जन्माष्टमी के ठीक एक दिन पूर्व पार्क के प्रवेश द्वार पर रीवा राजवंश के उत्तराधिकरी द्वारा धरने पर बैठने से पार्क प्रबंधन सकते में हैं और धीरे-धीरे लोगों का जमावड़ा भी बढ़ रहा है. इस बीच पार्क प्रबंधन के अधिकारियों ने धरनास्थल जाकर मान-मनौव्वल की कोशिश भी शुरू की है, लेकिन किले में मेले के आयोजन को हरी झंडी देने की मांग पर धरने पर बैठे लोग अभी भी अड़े हुए हैं.