नई दिल्लीः मध्य प्रदेश में बीजेपी को जिन नेताओं से सबसे ज्यादा खतरा है, उनमें पूर्व सीएम कमलनाथ प्रमुख हैं. ऐसे में अब आगामी 2023 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने अभी से ही कमलनाथ को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है. इस तैयारी के तहत भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह इन दिनों छिंदवाड़ा के दौरे पर हैं. गिरिराज सिंह शुक्रवार को छिंदवाड़ा पहुंचे और वह यहां तीन दिन तक रहेंगे. इस दौरान वह पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे. 


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छिंदवाड़ा में कमलनाथ को फंसाने की तैयारी
मध्य प्रदेश का छिंदवाड़ा कमलनाथ का गढ़ माना जाता है. यहां कमलनाथ की पकड़ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कमलनाथ यहां से 9 बार सांसद चुने गए हैं और एक-एक बार उनकी पत्नी और बेटे ने भी यहां से लोकसभा का चुनाव जीता है. साल 1980 में कमलनाथ पहली बार छिंदवाड़ा से लोकसभा का चुनाव जीते थे और उसके बाद से सिर्फ एक बार 1997 में उन्हें पूर्व सीएम सुंदर लाल पटवा के हाथों हार का सामना करना पड़ा है वरना हर बार यहां से कमलनाथ या उनके परिजनों ने जीत दर्ज की है. 


हालांकि अब बीजेपी की तैयारी है कि कमलनाथ को छिंदवाड़ा में घेरा जाए ताकि वह छिंदवाड़ा तक सीमित हो जाएं और बाकी जगह ठीक से चुनाव प्रचार के लिए वक्त ही ना निकाल सकें. बीजेपी अब उन कमजोर कड़ियों का पता लगाने की कोशिश कर रही है, जहां से कमलनाथ को कमजोर किया जा सकता है. यही वजह है कि चुनाव से इतने समय पहले ही बीजेपी छिंदवाड़ा में सक्रिय हो गई है. गिरिराज सिंह अपने दौरे के दौरान पार्टी के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे और उनकी रिपोर्ट के बाद पार्टी छिंदवाड़ा में जीत की रणनीति तैयार करेगी. 


बीजेपी इसलिए है उत्साहित
छिंदवाड़ा पर कब्जे के लिए बीजेपी इसलिए उत्साहित है क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ और बीजेपी उम्मीदवार के बीच हार-जीत का अंतर बहुत ज्यादा नहीं था. 
साथ ही ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि छिंदवाड़ा कांग्रेस जिला संगठन में अंतरविरोध बढ़ रहा है. ऐसे में बीजेपी इसका फायदा उठाने की कोशिश में जुटी है. 
हालिया नगरीय निकाय चुनाव में भी कांग्रेस और बीजेपी के बीच मेयर चुनाव में कांटे की टक्कर देखने को मिली. किसी तरह कांग्रेस यहां से जीत दर्ज करने में सफल रही लेकिन नतीजों से बीजेपी उत्साहित है. 
इस बार बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर मास्टर स्ट्रोक खेला है. जिसके बाद मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बहुल राज्यों में बीजेपी को इसका फायदा मिलने की उम्मीद है. एमपी में आदिवासी प्रभावी संख्या में है और सत्ता की चाबी माने जाते हैं. छिंदवाड़ा भी आदिवासी बहुल इलाका है. ऐसे में बीजेपी की कोशिश है कि अपने इस मास्टरस्ट्रोक के जरिए छिंदवाड़ा के अभेद्य किले को भेदा जाए.