Chaitra Navratri Ghatasthapana 2023: हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है. नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च को हो रही है. इस बार मां दुर्गा पृथ्वीलोक पर नाव की सवारी करके आ रही हैं. आइए जानते हैं नवरात्रि पर कब है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और क्या है कलश स्थापना ( Kalash Sthapana) पूजन की सही विधि.


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कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च की रात्रि 11 बजकर 4 मिनट पर लग जाएगी. ऐसे में 22 मार्च को सूर्योदय के साथ नवरात्रि में मां दुर्गा के कलश स्थापना की शुरुआत होगी. इस दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 23 मिनट से लेकर 7 बजकर 32 मिनट तक है. नवरात्रि के प्रतिपदा तिथि का समापन 22 मार्च 2023 को रात्रि 8 बजकर 20 मिनट पर होगा.


चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना विधि मंत्र
चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है. कलश को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा के पहले कलश स्थापित किया जाता है. आइए जानते हैं कलश स्थापना विधि सबसे पहले स्नान करने के बाद साफ-सूथरा वस्त्र धारण करें. इसके बाद कलश स्थापना वाले जगह यानी घर के मंदिर की साफ-सफाई करें. व गंगाजल से छिड़कें. अब इस जगह पर मिट्ठी और रेत में सप्तमृतिका मिलाकर एक साथ बिछा दें. कलश पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं और सिंदूर का टीका लगाएं. इसके बाद जिस स्थान पर कलश स्थापित करने जा रहे हैं, उसे हाथ से स्पर्श करें और  मंत्र 'ऊं भूरसि भूमिरस्यदितिरसि विश्वधाया विश्वस्य भुवनस्य धर्त्रीं, पृथिवीं यच्छ पृथिवीं दृग्वंग ह पृथिवीं मा हि ग्वंग सीः' बोलें. अब आप उस स्थान पर सप्तधान बिछाते हुए मंत्र- ' ऊं धान्यमसि धिनुहि देवान् प्राणाय त्यो दानाय त्वा व्यानाय त्वा, दीर्घामनु प्रसितिमायुषे धां देवो वः सविता हिरण्यपाणिः प्रति गृभ्णात्वच्छिद्रेण पाणिना चक्षुषे त्वा महीनां पयोऽसि' बोले इसके बाद जहां कलश को स्थापित करते हुए 'ऊं आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:, पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः' बोलें. इसके बाद कलश पर ढक्कन लगाएं. ढक्कन में नारियल और चावल भर कर रखें.


नवरात्रि कलश पूजन
अब आप कलश पूजन करते हुए 'ऊं तत्त्वा यामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदा शास्ते यजमानो हविर्भिः, अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुश ग्वंग स मा न आयुः प्र मोषीः, अस्मिन् कलशे वरुणं साङ्गं सपरिवारं सायुधं सशक्तिकमावाहयामि, ओम भूर्भुवः स्वः भो वरुण, इहागच्छ, इह तिष्ठ, स्थापयामि, पूजयामि, मम पूजां गृहाण. ‘ओम अपां पतये वरुणाय नमः’ मंत्र को बोलते हुए कलश पर अक्षत फूल चंदन अर्पित करें. इसके बाद आप कलश की पंचोपचार विधि से पूजा करते हुए सभी देवी देवताओं का आहवाहन करें. कलश स्थापना के साथ ही माता की अखंड ज्योति प्रज्जवलित करें. इस दीपक का हमेशा ध्यान रखें और समय समय पर तेल डालते रहें, ताकि नौ दिनों तक ये बुझे नहीं.


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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)