नई दिल्ली: पिछले कुछ सालों में भारत ने डिजिटलाइजेशन में जो मुकाम हासिल किया वो आधुनिक भारत की ओर एक बड़ा कदम है. भारत में डिजिटलाइजेशन की सफलता का एक बहुत बड़ा उदाहरण है यूपीआई .आजकल हर कोई पैसे लेन देन के लिए यूपीआई एप्लीकेशन का प्रयोग कर रहा है. भारत में यूपीआई इस्तेमाल करने वालों की संख्या हर साल बढ़ रही हैं. लेकिन पिछले दिनों एक खबर आई थी जिसमें कहा गया था रिजर्व बैंक आईएमपीएस की तरह यूपीआई ट्रांजेक्शंस पर भी चार्जेज वसूल करने के विकल्प पर विचार कर कहा है. इसके लिए सेंट्रल बैंक ने एक डिस्कशन पेपर जारी किया था. हांलाकि अब वित्त मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा कि "यूपीआई लोगों के लिए एक उपयोगी सेवा है, जिससे लोगों को काफी सुविधा होती है और अर्थव्यवस्था की उत्पादकता बढ़ती है. यूपीआई सेवाओं के लिए सरकार कोई शुल्क लगाने पर विचार नहीं कर रही है. लागत की वसूली के लिए सेवा प्रदाताओं की चिंताएं अन्य माध्यमों से पूरी करनी होंगी."


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भारत में तेजी से बढ़ा UPI का चलन
NPCI के आंकड़ों के मुताबिक कुल 600 करोड़  ट्रांजैक्शन सिर्फ जुलाई के महीने में किए गए हैं. इसमें कुल 10.2 लाख रुपये की रकम की लेन देन की गई है. देश में यूपीआई इस्तेमाल करने वालों की दर में करीब 7 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है. आने वाले सालों में इनकी संख्या और अधिक बढ़ने की संभावना है. इसकी तारीफ खुद प्रधानमंत्री नोदी ने का थी उन्होनें कहा था कि "जुलाई में यूपीआई से 6 अरब लेनदेन हुए हैं जो कि 2016 के बाद सबसे अधिक है.यह नई तकनीकों को अपनाने और अर्थव्यवस्था को साफ बनाने के लिए भारत के लोगों के सामूहिक संकल्प को इंगित करता है. "


वित्त मंत्रालय ने लगाया अफवाहों पर विराम
दरअसल रिजर्व बैंक आईएमपीएस की तरह यूपीआई ट्रांजेक्शंस पर भी चार्जेज वसूल करने के विकल्प पर विचार कर कहा है. इसके लिए सेंट्रल बैंक ने एक डिस्कशन पेपर जारी किया था. इसके अलावा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया  ने हाल ही में UPI पेमेंट और शुल्क को लेकर लोगों से फीडबैक मांगा था. जिसके बाद से ही लोगों के बीच भ्रम हो गया कि सरकार अब UPI लेनदेन पर भी शुल्क वसूलेगी. लेकिन वित्त मंत्रालय ने अपना रूख साफ कर एसी तमाम अफवाहों को धता बता दिया है.