Chhindwara: अन्नदाता ने कर्ज से ज्यादा चुकाया ब्याज, फिर सूदखोरों से तंग आकर दी अपनी जान
छिन्दवाड़ा जिले की सौसर तहसील के ग्राम निमनी में एक किसान ने अपने कोठे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. इस मामले ने सरकार की नीतियों पर एक बार फिर सवाल खड़े किये हैं.
छिंदवाड़ा: मध्यप्रदेश कर्ज तले दबे किसानों की आत्महत्या करने का सिलसिला लगातार जारी है. फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलने और मौसम की मार झेल रहे किसान साल दर साल कर्ज में दबते जा रहे हैं. कर्ज लेने और चुकाने की स्थिति नहीं बनने पर किस प्रताड़ित होकर आत्महत्या करने को मजबूर है. किसानों की खुदकुशी के लगातार सामने आ रहे मामलों ने सरकार की नीतियों पर एक बार फिर सवाल खड़े किये हैं.
दरअसल छिन्दवाड़ा जिले की सौसर तहसील के ग्राम निमनी में एक किसान ने अपने कोठे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. यह किसान "सूदखोरों" से तंग था. किसान की मौत के बाद गांव में आक्रोश है. ग्रामीणों ने शव को थाना सौसर के सामने रखकर प्रदर्शन किया और सूदखोरों की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की हैं.
किसान ने की आत्महत्या
जानकारी के अनुसार सौसर के ग्राम निमनी में रहने वाले किसान 47 वर्षीय आनंद राव ठाकरे का शव रविवार को सुबह उनके खेत के कोठे में फांसी के फंदे पर लटका पाया गया. सूचना मिलने पर सौसर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए सौसर अस्पताल भेजा. इस दौरान जांच में मृतक के पास से एक सुसाइट नोट मिला है, जिसमें उसने सूदखोरों से तंग आकर आत्महत्या करने का उल्लेख किया है.
कर्ज से ज्यादा चुकाया ब्याज
सुसाइट नोट में आंनद राव ठाकरे ने लिखा हैं कि वह सूदखोरों के सात और दस प्रतिशत ब्याज की वसूली से तंग है. कर्ज में ली गई रकम से ज्यादा ब्याज दे चुका है फिर भी कर्ज बना हुआ है. नोट में उसने सूदखोरों के नाम भी लिखे हैं. सूदखोरों के 10 प्रतिशत और 7 प्रतिशत ब्याज वसूलने से उसका खेत, मकान और प्लाट तक बिक गया है. एक मकान फाइनेंस कंपनी में गिरवी है. किसान ने बैंक से कर्ज लेकर भी सूदखोरों को ब्याज देने की बात कही है.
जान से मारने की धमकी भी देते थे
नोट में किसान ने कहा कि ब्याज की रकम ना देने पर सूदखोर उसे जान से मारने की धमकी भी देते थे. इसकी शिकायत उसने सौसर पुलिस को की थी. किसान ने यह भी लिखा कि वह परिवार के सदस्यों को खत्म कर आत्महत्या करने की सोचा था लेकिन ऐसा नहीं कर पाया और खुद ही आत्महत्या का फैसला लिया. उसने यह भी लिखा है कि सूदखोरों ने ब्याज के नाम पर बड़ी रकम वसूली है.
रिपोर्ट - सचिन गुप्ता