आशीष श्रीवास/बालाघाट: बालाघाट जिले में यूं तो अनेक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है. जिसकी खूबसूरती का आनन्द लेने बड़ी संख्या में पर्यटक आते है. लेकिन गांगुलपारा झरने की बात ही कुछ और है. जिसे देखने दूर दूर से पर्यटक यहां आते है. 150 फीट ऊंचाई से गिरता झरने का पानी देखने लोगों को बेहद पसंद आता है. चारों ओर घने जंगलों से घिरे होने के कारण इसकी खूबसूरती में और भी चार चांद लग जाते है. 


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दरअसल मप्र का बालाघाट जिला प्राकृतिक धरोहरों के बलबूते एक अलग पहचान रखता है. यहां कान्हा नेशनल पार्क के अलावा कई सुंदर व मन लुभावने दार्शनिक स्थल भी हैं. जिन्हे निहारने हर साल हजारों अन्य प्रदेशों से पर्यटक बालाघाट पहुंचते हैं और बालाघाट में फैली प्रकृति की सुंदर छटा का आंनद लेते है. 


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150 फीट से गिरता पानी
गांगुलपारा वाटरफॉल. जो बालाघाट जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. बालाघाट जिले का बहुचर्चित वॉटर फॉल है. क्योकि यहां लगभग 150 फीट उंची पहाडी से पानी की धारा चट्टानों से टकराते हुए नीचे उतरती है और यही नजारा पर्यटकों के दिल तक छू जाता है. 


नक्सलियों की पहुंच से दूर ये जगह
गौरतलब है कि बालाघाट नक्सल प्रभावित जिला है. यहां कभी न कभी नक्सली गतिविधियां देखने को मिल जाती है. ऐसे में यहां आने वाले लोगों में काफी डर का माहौल रहता है. लेकिन ये जगह नक्सली गतिविधियों से कोसों दूर है.


पर्यटकों की पसंद बना झरना
कुछ ऐसे ही पर्यटको से चर्चा की और कहा कि हमने इस जगह में बारे में बहुत सुना था और आज आकर देख भी लिया. इसके बारे में जितना सुना था, उससे कई गुना ज्यादा हमे यहां इसकी खूबसूरती देखने मिली. शहर की चकाचौंध में वो आनंद कभी नहीं मिल पाता, जो हम प्रकृति के बीच कुछ पल गुजारकर पाते है और वही आंनन्द हमने यहां आकर पाया भी है. बालाघाट जिले का यह गांगुलपारा झरना बेहद स्मरणीय है. कान्हा नेशनल पार्क होने की वजह से अक्सर यहा पर वन्य प्राणी को झरने का पानी पीते कई बार देखा गया है.