CM Shivraj Singh Chouhan Announces: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मध्य प्रदेश के दो शहरों को लेकर बड़ा ऐलान किया है. सीएम ने इन दोनों शहरों का नाम बदलने की घोषणा कर दी है. नर्मदा जयंती से इन दोनों शहरों के नाम बदल जाएंगे. शिवराज सरकार ने इन दोनों शहरों के नाम बदलने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था, जिसे स्वीकृति मिलने के बाद यह फैसला लिया गया है. 


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होशंगाबाद और बाबई का बदला गया नाम 
दरअसल, शिवराज सरकार ने होशंगाबाद और बाबई शहर का नाम बदलने के फैसले पर मुहर लगा दी है. होशंगाबाद को अब नर्मदापुरम और बाबई को माखननगर के नाम से जाना जाएगा. बता दें कि होशंगाबाद संभाग को नर्मदापुरम के नाम से जाना जाता है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद इस बात की जानकारी ट्वीट करके दी है. 



नर्मदा जयंती से होशंगाबाद शहर का नाम नर्मदापुरम होगा 
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करते हुए बताया कि ''होशंगाबाद को 'नर्मदापुरम' और बाबई को 'माखन नगर' करने का प्रस्ताव मध्यप्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को भेजा था, जिसे स्वीकृति मिल गई है. जन आकांक्षाओं के अनुरूप इस सुखद निर्णय के लिए माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूं. होशंगाबाद में स्थित बाबई महान कवि, लेखक और पत्रकार आदरणीय माखनलाल चतुर्वेदी जी की जन्मस्थली है. मुझे तोड़ लेना बनमाली, उस पथ पर देना तुम फेंक! मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने, जिस पथ पर जावें वीर अनेक... जैसी पंक्तियों के रचयिता के गृह नगर बाबई को हम अब माखन नगर के नाम से जानेंगे.''


सीएम शिवराज ने लिखा कि ''पवित्र नर्मदातट पर बसे होशंगाबाद शहर को अब मध्यप्रदेश की प्राणदायिनी मैया नर्मदा की जयंती के शुभ दिन से 'नर्मदापुरम' कहा जायेगा. पूर्व में ही संभाग का नाम नर्मदापुरम किया जा चुका है.''


लंबे समय से उठ रही थी शहर का नाम बदलने की मांग 
बता दें कि मध्य प्रदेश के होशंगाबाद शहर का नाम बदलने की मांग लंबे समय से उठ रही थी. जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम करने का ऐलान कर दिया था. जिसे अब नर्मदा जयंती के दिन से लागू कर दिया जाएगा. होशंगाबाद का नाम बदलने के बाद आपको इस बारे में भी जानना चाहिए की आखिर होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम् ही क्यों किया गया है? इसी के बारे में हम आपको बता रहे हैं.


नर्मदा नदी के उत्तरी तट पर बसा यह खूबसूरत शहर प्राकृतिक सुंदरता का जीता-जागता उदाहरण है, जो पर्यटकों को दूर-दूर से आकर्षित करता है. इतिहास के पन्ने पलटें तो पहले इसका नाम नर्मदा नदी के नाम पर नर्मदापुरम् रखा गया था, लेकिन बाद में मामला के इस्लामिक शासक होशंग शाह के नाम पर इसका नाम होशंगाबाद पड़ा. लेकिन अब यानी नर्मदा जयंती के मौके पर एक बार फिर इसका नाम नर्मदापुरम् कर दिया जाएगा.  


नर्मदा के किनारे बसा है यह शहर 
होशंगाबाद जो अब नर्मदापुरम् कहलाएगा उसे धार्मिक नगरी भी कहा जाता है. क्योंकि पूरे जिले में हजारों मंदिर हैं. यह सेठानीघाट सहित देवालयों के नाम से भी जाना जाता है. शोधकर्ताओं की मानें तो यहां हर 20 कदम की दूरी पर मंदिर है. प्राचीन काल से ही यह शहर अपने सुंदर प्राकृतिक, आध्यात्मिक और दर्शनीय स्थलों के कारण अपनी अगल पहचान बनाए हुए है. इसका अपना एक धार्मिक महत्व है और कुछ प्राचीन हिंदू मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है, जैसे खेड़ापति, हनुमान मंदिर और शनि मंदिर यहां के बहुत प्रसिद्ध धार्मिक स्थल मंदिर हैं.


कवि माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली है बाबई 
बाबई एक छोटा सा शहर है. जो होशंगाबाद जिले में ही आता है जो एक नगर पंचायत है. बाबई महान कवि, लेखक और पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी की जन्मस्थली है. इसलिए इस शहर का नाम भी लंबे समय से उनके नाम पर रखने की मांग उठ रही थी. ऐसे में सरकार ने इस शहर का नाम बदलने पर भी मुहर लगा दी है. 


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