आकाश द्विवेदी/भोपाल: शिवराज सिहं चौहान ने सुघोश दर्शन कार्यक्रम में बड़ी घोषणा करते हुए कहा कि अब मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में गीता और रामायण (Geeta-ramayan) भी पढ़ाई जाएगी. सीएम ने कहा कि हम सरकारी स्कूलों में हमारे धर्म ग्रंथों (Dharm granth) की शिक्षा देंगे. गीता का सार, रामयाण, रामसेतु और महाभारत के प्रसंग पढ़ाएंगे. वहीं सीएम ने चेतावनी दी कि जो महापुरुषों को अपमान करते हैं, उनको सहन नहीं किया जाएगा. 


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बच्चों को नैतिक बनाएंगे
सीएम ने कहा कि  रामायण, महाभारत, वेद , उपनिषद,श्रीमद्भगवद्गीता यह हमारे अमूल्य ग्रंथ हैं. मैं मुख्यमंत्री होने के नाते भी कह रहा हूं. हम तो शासकीय विद्यालयों में भी हमारे ग्रंथो की शिक्षा देंगे. इन ग्रंथों में मनुष्य को नैतिक व संपूर्ण बनाने की क्षमता है. इन पवित्र ग्रंथों की शिक्षा देकर हम अपने बच्चों को पूर्ण भी बनायेंगे, नैतिक भी बनायेंगे. गीता का सार पढ़ाएंगे, रामायण , रामचरितमानस पढ़ाएंगे, महाभारत के प्रसंग पढ़ाएंगे. 



सीएम शिवराज हुए हमलावर 
सीएम शिवराज ने कहा कि मुझे कहते हुए ये दुख होता है कि देश में कुछ लोग ऐसे हैं, जिन्हें हमारी संस्कृति, परंपरा, अध्यात्म और धर्म की आलोचना करने में आनंद आता है. वे नहीं जानते कि वे देश का कितना नुकसान कर रहे हैं. राम के बिना ये देश न सिर्फ जाना जाता है, बल्कि राम हमारे रोम-रोम में बसे है. देश में सुख हो या दुख हर समय राम का ही नाम लिया जाता है. 


विद्यार्थियों ने बनाई ॐ की आकर्षक आकृतियां
भोपाल के ओल्ड कैम्पियन ग्राउंड पर दो घंटे तक चले 'सुघोष दर्शन' कार्यक्रम के पहले भाग में छात्र- छात्राओं के घोष वादन की प्रस्तुति की गई. इनमें बांसुरी वादन, शंख (बिगुल) वादन, त्रिभुज (ट्रायंगल) सहित अन्य वाद्ययंत्रों का वादन घोष दलों ने प्रदर्शन किया. घोष वादन करते हुए छात्र- छात्राओं ने ॐ, स्वास्तिक चिन्ह सहित सुघोष दर्शन की आकृति भी बनाई.


यूपी के नेता ने दिया विवादित बयान
गौरतलब है कि यूपी में समाजवादी पार्टी के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरित मानस (Ramcharitmanas) को लेकर विवादित बयान दिया था. जिसके बाद देश भर में सियासत हलचल तेज हो गई है.  मौर्य ने रविवार को कहा था कि- कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते. यह तुलसीदास (Tulsidas) ने अपनी खुशी के लिए लिखा है. सरकार को रामचरित मानस के आपत्तिजनक अंश हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए. अब शिवराज सिंह की ये घोषणा कहीं न कहीं बड़ा इशारा कर रही है.