MP News: आकाश द्विवेदी/भोपाल। चुनाव (Assembly Election 2023) से पहले मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार (CM Shivraj Sarkar) आर्थिक संकट से गुजर रही है. प्रदेश का खजाना खाली हैं. सरकार पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. बावजूद इसके चुनावी साल में जनता को लुभाने के लिए नई घोषणाएं कर रही है और कर्ज लेने का सिलसिला थम नहीं रहा है. सरकार ने आज फिर 500 करोड़ का लिया कर्ज लिया है. इसी के साथ प्रदेश के साथ करीब 4 लाख करोड़ कर्ज हो गया है. वहीं राज्य के हर नागरिक के ऊपर 40 हजार रुपये का कर्ज हो गया है.


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500 करोड़ का नया कर्ज
मध्यप्रदेश सरकार ने RBI से फिर 500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है. इसे 12 साल के टेन्योर में चुकाना होगा. इस संबंध में आज ऑक्शन होगा और कल खाते में लोन रिफ्लेक्ट होने लगेगा. इस पैसे को सरकार 22 सितंबर 2035 तक चुकाना होगा. 


वित्तीय वर्ष का तीसरा कर्ज
मध्यप्रदेश सरकार इस साल छह महीनों में अलग-अलग तारीखों पर 12 बार कर्ज ले चुकी है. जनवरी, फरवरी, मार्च, मई, जून और सितंबर में सरकार ने आरबीआई से लोन लिया है. हालांकि, 2023-24 का वित्तीय वर्ष शुरू होने के बाद सरकार का यह तीसरा कर्ज है.


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घोषणाएं पूरी करने के लिए कर्ज
नया वित्तीय वर्ष शुरू होने तक एमपी पर लगभग 3.32 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था. इसके बाद लगातार कर्ज लेने से यह आंकड़ा 4 लाख करोड़ के करीब पहुंच चुका है. इसके बाद भी मध्यप्रदेश में घोषणाओं का सिलसिला जारी है. इसे पूरा करने के लिए सरकार लगातार कर्ज ले रही है.


मध्यप्रदेश सरकार ने कब कितना लिया कर्ज
-25 जनवरी 2023- 2000 करोड़
-02 फरवरी 2023- 3000 करोड़
-09 फरवरी 2023- 3000 करोड़
-16 फरवरी 2023-3000 करोड़
-23 फरवरी 2023- 3000 करोड़
-02 मार्च 2023- 3000 करोड़
-09 मार्च 2023- 2000 करोड़
-17 मार्च 2023- 4000 करोड़
-24 मार्च 2023- 1000 करोड़
-29 मई 2023- 2000 करोड़
-14 जून 2023- 4000 करोड़
-12 सितंबर 2023 -1000 करोड़
-21 सितंबर 2023 यानी आज सरकार 500 करोड़ का कर्ज ले रही है


हर व्यक्ति पर 40 हजार का कर्ज
वित्तीय वर्ष की शुरुआत में एमपी सरकार पर 3 लाख 32 हजार करोड़ के आसपास का कर्ज था. अब यह आंकड़ा 4 लाख करोड़ के करीब पहुंचने की कगार पर है. इसके लिए एमपी सरकार हर साल कर्ज पर 20 हजार करोड़ रुपये ब्याज देती है. फिलहाल प्रदेश की वित्तीय हालात के अनुसार मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति पर 40 हजार से ज्यादा का लोन है. यानी कि प्रत्येक व्यक्ति पर 40 हजार रुपये से ज्यादा का कर्ज है.


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