प्रमोद शर्मा/भोपालः भारत में होने वाले चुनाव में जातीय समीकरण बेहद अहम फैक्टर रहता है. खासकर उत्तर और मध्य भारत की राजनीति में जातीय समीकरणों को साधे बिना चुनाव जीतना उल्टा चलकर पहाड़ चढ़ने जैसा है. यही वजह है कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव जीत के लिए कांग्रेस बीजेपी की राह चलने की तैयारी कर रही है. दरअसल 2017 में यूपी चुनाव में जिस तरह से बीजेपी ने सोशल इंजीनियरिंग कर जनता को साधा था, उसी तरह अब कांग्रेस सभी विधानसभा सीटों पर सामाजिक गणना कराकर विभिन्न जातियों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है. 


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सर्वे में इन बातों का पता लगाएगी कांग्रेस
कांग्रेस मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों का 4 महीने पहले ही सर्वे करा चुकी है. अब पार्टी सभी सीटों पर जातीय समीकरणों की मैपिंग कराएगी. जिसके तहत अन्य पिछड़ा वर्ग की उन जातियों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की जाएगी, जो संख्या में कम हैं. सभी जातियों की आबादी का पता लगाने के साथ ही कांग्रेस यह भी पता लगाएगी कि विभिन्न जातियों के नेताओं का किस पार्टी के साथ जुड़ाव है और उन्हें अपने साथ जोड़ने का प्रयास कांग्रेस द्वारा किया जाएगा. 


अरुण यादव को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने जातीय समीकरणों के अध्ययन की जिम्मेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेता अरुण यादव को सौंपी है. बता दें कि अरुण यादव भी अन्य पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं और जमीनी स्तर पर उनकी पकड़ अच्छी मानी जाती है. अरुण यादव कुछ समय पहले तक कांग्रेस में उपेक्षित चल रहे थे लेकिन आलाकमान से मुलाकात के बाद पिछले एक महीने से उन्हें पार्टी में खासा महत्व दिया जाने लगा है. 


कांग्रेस जातीय समीकरणों का सर्वे कराने के साथ ही पिछले चुनाव में अच्छे खासे वोट पाने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों को भी टटोलेगी. कांग्रेस अलग-अलग जातियों के महापुरुषों और प्रमुख हस्तियों से जुड़ाव के लिए कार्यक्रम भी आयोजित करेगी, जिससे समाज को साधने में मदद मिल सके. कांग्रेस विभिन्न जातियों की सामाजित स्थिति की भी गणना कराएगी.