Constitution Day 2022: हर साल हमारे देश में 26 नवंबर को संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है. बता दें कि इसी दिन संविधान सभा ने देश के संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था. हालांकि यह संविधान 26 जनवरी 1950 को देश में लागू किया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 26 नवंबर को अपनाने के बावजूद संविधान को लागू करने में करीब दो महीने की देरी क्यों की गई? तो आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी.


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15 अगस्त 1947 को देश अंग्रेजी शासन के चंगुल से आजाद हुआ. हालांकि उस वक्त भी हमें पूरी तरह से अंग्रेजों से आजादी नहीं मिली थी और हमें डोमिनियन स्टेट का दर्जा दिया गया था. जिसके तहत देश में गवर्नर जनरल के पद का अस्तित्व बना रहा.देश की जनता अपनी मर्जी से अपने नेता का चुनाव नहीं कर सकती थी! हालांकि आजादी मिलने के बाद भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में देश का संविधान तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया था. 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू हुआ और भारत को ब्रिटिश राज के गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 से मुक्ति मिली. 


दो महीने की देरी से लागू हुआ संविधान
संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान स्वीकार कर लिया था. हालांकि देश में करीब दो महीने बाद इसे लागू किया गया. इसकी वजह ये है कि आजादी की लड़ाई के दौरान साल 1927 से ही भारत को डोमिनियन स्टेट बनाए जाने की मांग की जा रही थी लेकिन अंग्रेज सरकार द्वारा बार-बार भारत की इस मांग को ठुकरा रही थी.


इससे नाराज होकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 19 दिसंबर 1929 को लाहौर अधिवेशन के दौरान डोमिनियन स्टेट के बजाय पूर्ण स्वराज देने की मांग शुरू कर दी और इसे लेकर प्रस्ताव पास किया. 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज की इस मांग को सार्वजनिक किया गया. यही वजह है कि जब देश का संविधान बनकर तैयार हुआ तो तत्कालीन सत्तासीन पार्टी कांग्रेस ने फैसला किया कि 26 जनवरी के दिन ही संविधान को देश में लागू किया जाए और पूर्ण स्वराज के सपने को पूरा किया जाए.  जिसके बाद 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू किया गया.


क्या होता है डोमिनियन स्टेट?
डोमिनियन स्टेट का मतलब होता है कि किसी राज्य के आंतरिक मामले जैसे विधायी शक्तियां,कार्यपालिका, न्यायपालिका, सैन्य और विदेश नीति पूर्णतः स्वतंत्र होती हैं लेकिन उस देश का राष्ट्राध्यक्ष उस पर शासन करने वाले औपनिवेशिक देश का सम्राट ही होता है. साल 1947 में देश जब आजाद हुआ तो उस वक्त भारत को भी डोमिनियन स्टेट का दर्जा मिला था. जिसके तहत देश का राष्ट्र अध्यक्ष राष्ट्रपति ना होकर ब्रिटेन का सम्राट ही था.