MP News: सुबह देर तक सोने से बिगड़ा था रिश्ता, अब 22 साल पुराने दंपत्ति का ऐसा हुआ पुनर्मिलन
Damoh National Lok Adalat: दमोह में नेशनल लोक अदालत ने 22 साल पुराने दंपत्ति के मामले को सुलझाया गया. मकर संक्रांति पर विवाद के बाद पति-पत्नी अलग हो गए थे, लेकिन अब दोनों फिर से साथ रहने के लिए तैयार हो गए हैं. कोर्ट परिसर में दोनों को माला पहनाकर एक-दूसरे के साथ भेज दिया गया.
Damoh National Lok Adalat News: दमोह से एक दिलचस्प खबर सामने आई है. जहां नेशनल लोक अदालत ने एक परिवार को उजड़ने से बचा लिया, 22 साल पुराने दंपत्ति एक बार फिर अपने घर में साथ रहने को राजी हो गया और जब यह समझौता हुआ तो कोर्ट परिसर में जश्न का माहौल हो गया. दरअसल, जिले के इमलाई महोली गांव में रहने वाले नारायण पटेल की शादी 22 साल पहले दमोह जिले के नंदरई गांव की मंझली बहू से हुई थी, दोनों के तीन बच्चे हैं और सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन 14 को जनवरी 2024 यानी मकर संक्रांति के दिनउस दिन कुछ ऐसा हुआ कि 22 साल का साथ छूट गया. मंझली बहू मकर संक्रांति के मौके पर अपने मायके जाना चाहती थी, लेकिन नारायण तैयार नहीं था और विवाद शुरू हो गया.
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सुबह देर तक सोने की बात भी सामने आई
आपको बता दें कि दोनों के बीच विवाद सिर्फ मायके जाने तक ही सीमित नहीं था बल्कि महिला के सुबह देर तक सोने को लेकर भी बात सामने आई. झगड़े के बाद महिला अपने मायके के घर चली गई और उसके पति ने कोर्ट में केस दायर कर दिया. सुनने में यह बहुत मामूली मामला लग सकता है, लेकिन सवाल एक भरे पूरे परिवार के बर्बाद होने का था. इसलिए फैमिली कोर्ट ने इस मामले को आज नेशनल लोक अदालत में रखकर समझौता कराने का प्रयास किया तो दोनों का प्रेम फिर फूट पड़ा और दोनो के बीच सुलह करा दी गई.
दम्पत्ति खुशी-खुशी घर गया
कोर्ट परिसर में इस दिलचस्प मामले को देखने वाले हर किसी के चेहरे पर खुशी थी.बाकायदा दोनों को एक बार फिर एक-दूसरे से मालाएं पहनवाई गई और दम्पत्ति खुशी-खुशी फिर अपने घर चले गया. इस मामले की जानकारी देते हुए डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज धर्मेश भट्ट ने बताया कि कोर्ट को यह मामला राजीनामा योग्य लग रहा था लिहाजा, इस मामले में पहल की गई. दोनों पक्षों को बुलाया गया और जो उम्मीदें थी वो खरी साबित हुईं. न्यायाधीश भट्ट ने कहा कि इस वर्ष की दूसरी लोक अदालत में विभिन्न सरकारी विभागों के कई मामले आये जिनके अच्छे परिणाम निकल कर सामने आए हैं.
रिपोर्ट: महेंद्र दुबे (दमोह)