अमित श्रीवास्तव/देवास: मन को मोह लेने वाली बांसुरी की मधुर तान तो आपने सुनी ही होगी, लेकिन आज हम आपको बांस से बनने वाली आकर्षित कलाकृति के बारे में बताने जा रहे हैं. दरअसल डेनमार्क की एक कंपनी ने देवास की आर्टिसन एग्रोटेक से करार किया है.जिसके तहत जल्द ही मध्यप्रदेश का बांस अब डेनमार्क जाएगा.वहां 120 फीट लंबी और 35 फीट गोलाई वाली बांस की पंखुड़ियां बनाई जाएगी.अभी तक आपने डेनमार्क सहित यूरोप के कई देशों में पवन चक्की में फाइबरग्लास से बनी पंखुड़ियों को घूमते हुए देखा होगा. फाइबरग्लास की जगह.हालांकि बांस की पंखुड़ियां घूमती नजर आएंगी.


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आर्टीशन कंपनी ने 2014 से हस्तशिल्प कला की शुरुआत की
देवास में स्थित आर्टीसन (artison) एग्रोटेक कंपनी के आर्टिसन नाम में ही इसका पूरा उद्देश्य छिपा है.Art is on यानी कला शुरू होती है.वो हस्तशिल्प कला जो प्राचीन काल में हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा रहती थी.आधुनिकता के चमक ने उसे हमसे दूर कर दिया था.यह कला प्राचीन काल में हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा रहता था.बांस से बनी हुई वस्तुओं को हम रोजमर्रा जीवन में उपयोग करते थे, पर उनकी जगह प्लास्टिक ने ले ली. हालांकि देवास में स्थित आर्टीशन कंपनी ने 2014 में फिर से इस बांस से बनने वाली हस्तशिल्प कला की शुरुआत की गई है.


देवास में 20 एकड़ में फैली यह कंपनी, ना सिर्फ बांस का उत्पादन कर रही है. बल्कि धार,हरदा देवास के किसानों को बांस के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित भी कर रही है और सबसे बड़ी बात यह है कि यह कंपनी गन्ने के समर्थन मूल्य के बराबर यहां के किसानों को उनके बांस के उत्पादन का मूल्य दे रही है.जिससे यहां के किसान आम फसल से ज्यादा बांस की खेती करके ज्यादा धन अर्जित कर रहे हैं. किसानों द्वारा खरीदे गए उन बांसो को आर्टीसन कंपनी अपनी फैक्ट्री में लाती है .उसके बाद शुरू हो जाता है उन बांसों को नए आकार में ढालने का काम. पहले बांसों को यहां पर सुखाया जाता है.सूखने के बाद बांसों की छिलाई की जाती है.इसके बाद बड़ी-बड़ी मशीनों से इसकी फिनिशिंग की जाती है.
 
बांस से बन रही हैं ये चीजें
यहां पर सुंदर लेंम्प, बिना नट बोल्ट के आकर्षक फर्नीचर,टेबल कुर्सी और गुलदस्ते भी बांस से ही बनाए जा रहे हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यह सुंदर सा आशियाना. जो आप देख रहे हैं. यह बांस से ही बना है.ये आशियाना इतना मजबूत है कि इस आशियाना का 70 साल तक कुछ नहीं बिगड़ता.