Dewas Vidhan Sabha Seat: बीजेपी का गढ़ है देवास सीट, 3 दशक से कांग्रेस को यहां नहीं मिली जीत
Dewas Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश के देवास जिले की विधानसभा सीट (Dewas Seat Analysis) पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है. इस बार यहां का क्या समीकरण होगा और इस सीट का क्या इतिहास है यहां जानें.
Dewas Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान कभी भी हो सकता है. ऐसे में राजनीतिक दल एक-एक विधानसभा सीट पर तैयारियों में जुटे हैं. वहीं देवास जिले में विधानसभा की 5 सीट आती है. जिसमें देवास विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. इस सीट पर तीन दशक से भाजपा का कब्जा है, यहां 1990 से लगातार बीजेपी जीतते आ रही है. जानिए इस सीट का समीकरण...
देवास सीट का जातीय समीकरण
देवास विधानसभा सीट से फिलहाल गायत्री राजे विधायक हैं. इस सीट से ब्राह्मण, राजपूत, मुस्लिम वोटों की संख्या अधिक है. खाती समाज भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका में होता है.
देवास विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या- 2,74,411 है, जिसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,39,565 है, वहीं महिला वोटरों की संख्य 1,34,842 है.
वोट प्रतिशत
- स्वर्ण मतदाता- 30.68 प्रतिशत है.
- अन्य पिछड़ा वर्ग- 28.61%
- अल्पसंख्यक मतदाताओं का प्रतिशत- 17.83%
- अनुसूचित जाति- 18.25%
- अनुसूचित जनजाति- 4.63%
देवास विधानसभा सीट की राजनीति इतिहास
आपको बता दें कि करीब 3 दशक से देवास विधानसभा सीट पर राजपरिवार का कब्जा रहा है. यहां राज परिवार का ही राज रहा है. यहां स्वर्गीय तुकोजीराव पवार करीब 6 बार लगातार विधायक चुने गए. उनके निधन के बाद उनकी धर्मपत्नी गायत्री राजे पवार यहां से 2 बार विधायक चुनी जा चुकी है. 1957 से 1972 तक देवास में कांग्रेस का विधायक रहा है. फिर 1977 में जनता पार्टी से शंकर कानूनगो विधायक बने. 1980 व 1985 में कांग्रेस के चंद्रप्रभाष शेखर विधायक बने. इसके बाद से तुकोजीराव पवार औऱ उनके बाद उनकी पत्नी विधायक बनीं.
2018 में कैसा रहा नतीजा
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से गायत्री राजे पवार प्रत्याशी थीं. वहीं कांग्रेस ने जयसिंह ठाकुर को अपना प्रत्याशी बनाया था. जिसमें गायत्री राजे पवार 28 हजार से अधिक वोटों से विजयी हुई. हालांकि इस बार कांग्रेस कुछ कमाल कर पाती है या नहीं ये देखने वाली बात होगी. फिलहाल इस सीट से प्रवेश अग्रवाल और प्रदीप चौधरी का नाम आगे चल रहा है.