Dhar Bhojshala: क्या धार भोजशाला के नीचे है कोई और भवन? ASI Survey में 10 मीटर गहरी सीढ़ियां मिलने का दावा
ASI survey in Dhar Bhojshala: धार भोजशाला में ASI का सर्वे जारी है, 51वें दिन दावा किया गया है कि यहां से पुरातात्विक महत्व के सिक्के और 10 मीटर गहरी सीढ़ियां मिली हैं. जिसके बाद याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री ने जीपीआर सर्वे की मांग की.
Dhar Bhojshala ASI Survey: इंदौर हाई कोर्ट के निर्देश पर धार की भोजशाला में जारी एएसआई के सर्वे का आज 51वां दिन पूरा हुआ. एएसआई की टीम बीते 22 मार्च से यहां लगातार सर्वे कर रही है और 4 जुलाई से पहले फाइनल रिपोर्ट हाई कोर्ट में पेश करनी है. आज सर्वे में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट रंजना अग्निहोत्री शामिल हुईं. दावा किया गया है कि सर्वे में पुरातात्विक महत्व के सिक्के और 10 मीटर गहरी सीढ़ियां मिलीं हैं. एडवोकेट अग्निहोत्री ने GPR सर्वे की मांग की है.
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याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री लखनऊ से धार पहुंचीं
बता दें कि धार की भोजशाला में जारी एएसआई का सर्वेक्षण आज 51वां दिन पूरा हुआ. आज सर्वेक्षण में शामिल होने के लिए याचिकाकर्ता, हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट रंजना अग्निहोत्री लखनऊ से धार पहुंचीं और सर्वेक्षण की कार्यवाही में भाग लिया. उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि बिल्डिंग के पश्चिम क्षेत्र में जो ट्रेंच खोदी जा रही है. वहां से पुरातात्विक महत्व के सिक्के मिले हैं. वहीं, भोजशाला के अंदर गर्भ गृह के सामने जो प्रांगण है, उसके दक्षिण दिशा में जो ट्रेंच खोदी गई है उसमें कुछ सीढ़ियां मिली हैं जो 10 मीटर तक नीचे तक जाती हैं.
रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि जिसको देखकर ऐसा लगता है कि इस इमारत के नीचे भी कोई इमारत रही होगी या तो कोई बड़ा गर्भ गृह रहा होगा या कोई बड़ा प्रांगण रहा होगा. बाहर की जो दीवार है उसके पीछे खुदाई में जो नींव मिली है. उसको देखकर ऐसा लगता है कि इसके नीचे भी कोई इमारत है. जिसके लिए GPR सर्वे बहुत महत्वपूर्ण है. एएसआई का तो सर्वे हो रहा है, इसके साथ GPR से भी सर्वे होना चाहिए. हो सकता है गर्भ गृह में माता सरस्वती की कोई और मूर्ति हो. गर्भ गृह मिलेगा तो नीचे मूर्ति भी मिलेगी. अब तक सर्वेक्षण में जितने भी अवशेष मिले हैं वे सब हिंदू मंदिर के हैं, माता सरस्वती के हैं, भोजशाला से संबंधित हैं और 11वीं- 12वीं शताब्दी के हैं. भोजशाला ने पहले बहुत आक्रमण झेले हैं और आज भी झेल रही है.
रिपोर्ट: कमल सोलंकी (धार)