Dhar Bhojshala Case: इंदौर/धार। करीब तीन दशकों से विवादित धार की भोजशाला मंदिर है या मस्जिद इसे लेकर मामला एक बार फिर सुर्खियों में बना हुआ है. पहले से चल रही याचिका पर सुनवाई के बीच में ही हिंदू पक्ष की ओर हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ट्रस्ट ने कोर्ट से ASI सर्वे की मांग कर दी है. ट्रस्ट ने इंदौर खंडपीठ में अपनी याचिका के बीच अंतरिम आवेदन प्रस्तुत किया है. सोमवार को इस मामले में हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में करीब 50 मिनट तक सुनवाई हुई.


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क्या कह रहे हैं दोनों पक्ष ?
हिंदू फ्रंट का मानना है कि सर्वेक्षण के दौरान खुदाई में कई मूर्तियां और संकेत ऐसे पाए जाएंगे जिससे यह साफ हो सकेगा कि यह मस्जिद नहीं बल्कि मंदिर ही था. ट्रस्ट का कहना है कि यदि सर्वेक्षण होता है तो ज्ञानवापी मामले की तरह धार की भोजशाला में भी पूजा का अधिकार मिल सकेगा.


दूसरे पक्ष ने इस अंतरिम आवेदन पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा है कि पहले से दर्ज याचिका के बीच इस आवेदन का औचित्य नहीं है. साथ ही पहले उनकी (मुस्लिम पक्ष) तरफ से दर्ज याचिका की भी सुनवाई की जाए.


अभी लागू है हाईकोर्ट का आदेश
अप्रैल 2003 में कोर्ट के निर्देशों के बाद धार की भोजशाला को प्रति मंगलवार पूजा के लिए हिन्दुओं के लिए खोला गया है. जबकि, शुक्रवार की दोपहर में मुस्लिम समाज को नमाज की अनुमति दी गई है. बाकी दिनों में एक रुपये शुल्क पर यह स्थान पर्यटन स्थल की तरह खोला गया है.


2022 की याचिका में क्या मांगा था
मई 2022 में हिंदू संगठन की तरफ से एक याचिका लगाई गई थी, जिसमें भोजशाला को मंदिर बनाए जाने, वाग देवी की प्रतिमा स्थापित करने, विधिवत पूजा अर्चना करने और नमाज बंद करने जैसी मांग की गई थी. इसी याचिका के दौरान एक अंतरिम आवेदन देते हुए हाल ही में हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस ट्रस्ट ने ज्ञानवापी की तर्ज पर भोजशाला का व्यापक सर्वेक्षण कराए जाने की मांग की है.


हिंदू संगठन कर हैं आंदोलन
गौरतलब है कि पिछले तीन दशकों से धार की भोजशाला को लेकर हिंदू संगठन कई सत्याग्रह और आंदोलन कर चुका है. इस दौरान धार में कई बार हिंसा की घटनाएं और कर्फ्यू जैसे हालात भी बन चुके हैं. उधर हिंदी संगठन ने आगाह किया है कि धार की इस भोजशाला की मुक्ति के लिए लगातार सत्याग्रह जारी रहेंगे.