MP News: बंजर जमीन को बना डाला पिकनिक स्पॉट, सालों की मेहनत ऐसी की मिलता है सफारी का आनंद
MP News: रतलाम जिले में रहने वाले बुजुर्ग किसान भेरूलाल ने सालों साल मेहनत कर एक बंजर पहाड़ को आकर्षक और सुंदर पिकनिक स्पॉट में तब्दील कर दिया है. उन्होंने पहाड़ पर 1500 पेड़ लगाकर वहां हरियाली फैला दी.
चंद्रशेखर सोलंकी/रतलाम: हर साल 5 जून को दुनियाभर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर हम आपको मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के रहने वाले बुजुर्ग किसान भेरूलाल धाकड़ की अनूठी कहानी बता रहे हैं. बिहार के माउंटेन मेन दशरथ मांझी की तरह किसान भेरूलाल भी ट्री मेन के नाम से मशहूर हैं. उन्होंने सालों तक मेहनत कर एक बंजर वीरान पहाड़ी को हरियाली और फलदार पेड़ों से ऐसा हरा-भरा कर दिया कि अब इस जगह की सुंदरता, सुकून और फलों का स्वाद चखने लोग पिकनिक मनाने यहां आने लगे हैं.
15 साल की मेहनत लाई रंग
रतलाम जिले के नोगांवा कला गांव के एक किसान भेरूलाल किसी समय मजदूरी के लिए महाराष्ट्र के जलगांव में थे. गांव में उनके पास 5 बीघा जमीन थी. महाराष्ट्र से वापस लौटने के बाद वे अपने खेत में जुट गए. उन्हें अपने खेत के पास एक पहाड़ी नजर आई, जो काफी बंजर और पथरीली थी. इस कारण उस पर कोई आता-जाता भी नहीं था. ऐसे में किसान भेरूलाल धाकड़ ने पर्यावरण प्रेम और संकल्प के साथ 15 साल की मेहनत से इस पहाड़ पर कुल 1500 छायादार और फलदार वृक्ष खड़े किए. इनमें 500 से ज्यादा पेड़ आम, सीताफल समेत तमाम फलों के हैं.
20 बीघा जमीन पर फैलाई हरियाली
भेरूलाल ने अकेले बंजर पहाड़ी पर गड्ढे खोदे, पौधे लगाए और दिन-रात देखरेख की. उनकी मेहनत का फल ऐसा है कि आज 20 बीघा जीमन पर हरियाली छाई हुई है. पहाड़ी का कुछ हिस्सा तो ऐसा है कि वहां पेड़ों का घना जंगल बन गया है. यहां घूमने आओ तो लगता है कि किसी जंगल सफारी का आनंनद लेने आए हैं. इस जगह की हरियाली और फलों का स्वाद चखने के लिए कई लोग इस पहाड़ पर बच्चों के साथ पिकनिक मनाने आने लगे हैं.
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प्रशासन से चाहते हैं मदद
किसान भेरूलाल ने बताया कि वह इस पहाड़ पर और ज्यादा पेड़ लगाकर इस पूरे पहाड़ को घना बनाना चाहते हैं. इसके लिए प्रशासन से पेड़ लगाने की अनुमति की मांग करेंगे और प्रशासन से कुछ मदद भी चाहते हैं. उन्होंने बताया कि किसान अपनी खेती-बाड़ी में ही इतना व्यस्त हो जाते हैं कि उन्हें अन्य कामों के लिए ज्यादा समय नहीं मिल पाता है. भेरूलाल धाकड़ की इस मेहनत और पहल की ग्रामीण भी काफी सराहना करते हैं.