MP Farmers In Trouble: रतलाम/चन्द्रशेखर सोलंकी: मध्य प्रदेश में सरकार (MP Government) का हमेशा दावा रहता है कि वो प्रदेश के किसानों के लिए हर संभव प्रयास करती है. खेती लाभ का धंधा बने ये दावा सरकार हमेशा से करती आई हैं और लगातार किसानों के कल्याण और खेती को विकसित करने की योजनाएं भी सरकार लाती है, लेकिन अब भी किसान एक बड़ी समस्या से परेशान हैं, जिस तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. खेती में मोटा खर्च किसान पर है जिसके कारण किसान परेशान है. वो है बिजली का खर्च. 


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ट्रांसफॉर्मर के नाम पर लग रही चपत
दरअसल खेती के लिए बिजली बड़ी समस्या है. इसके लिए किसानों को अपने खेत पर ट्रांसफार्मर लगाने के लिए न सिर्फ कड़ी मशक्कत करना पड़ती है बल्कि मोटा खर्चा भी करना पड़ता है. किसानों को किराए पर ट्रांसफार्मर लेना पड़ रहा है. इसके लिए वो 1 से 2 लाख तक खर्च कर रहे हैं. ये खर्चा लगातार बना हुआ है. जब भी ट्रांसफार्मर में खराबी आ जाए, डीजल चोरी या उसके पुर्जे चोरी हो जाये तो इसके लिए किसान को ही मेंटेनेंस करवाना पड़ता है, जिसका भार किसान पर ही पड़ता है. इतना ही नहीं ये सब करने के बाद भी बिजली के बिल के साथ सर्विस चार्ज भी सरकार को भरना पड़ता है. मतलब ट्रांसफरमर के लिए सारी मशक्कत किसान करता है और सर्विस चार्ज मिलता है बिजली विभाग को.


ट्रांसफॉर्मर में अनुदान की मांग
ऐसे में अब किसान की अब मांग है कि किसानों को या तो ट्रांसफॉर्मर में अनुदान मीले या फिर मेंटेनेंस बिजली विभाग करे. वहीं किसान यह भी मांग कर रहे है कि ट्रांसफार्मर बिजली विभाग ही लगाए जिससे उसका मेंटेनेंस भी वही करें. फिलहाल ट्रांसफार्मर के लिए सरकार जल्द किसानों को राहत देने की बात कह तो रही है. 1 दिन पहले रतलाम आये किसान कल्याण व कृषि विकास विभाग मंत्री कमल पटेल ने कहा है कि अब किसानों को नए बजट में ट्रांसफार्मर के लिए अनुदान का लाभ दिलवाएंगे, वहीं ओवर-लोड एरिया में भी ट्रांसफार्मर लगाएंगे, पावर स्टेशन भी बढ़ाएंगे. फिलहाल सरकार के कृषि मंत्री ट्रांसफार्मर के लिए किसानों को राहत देने का आश्वासन देने की बात कह रहे है, लेकिन देखना यह होगा कि ट्रांसफार्मर के लिए किसानों को ये राहत कब तक मिल पाती है.