पुष्पेंद्र चतुर्वेदी/शहडोलः मध्य प्रदेश (mp news) के शहडोल (shahdol) जिले में हुई एक घटना ने मानवता को फिर शर्मसार कर दिया है. यहां सिस्टम की बेरूखी के चलते इलाज के बच्ची की मौत हो गई. जिसके बाद बेबस पिता मृत बच्ची के शव को बाइक पर रखकर 60 किलोमीटर दूर का सफर तय करने निकल पड़ा. घटना की जानकारी होने के बाद कलेक्टर (shahdol collector) ने शव वाहन उपलब्ध कराया. 


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भले ही कलकेटर ने आज जनाकारी लगने पर शव वाहन उपलब्ध करा दिया हो, लेकिन आज भी आदिवासी बाहुल्य शहडोल संभाग में कभी खाट पर तो कभी बाइक पर तो कभी रिक्शा पर तो कभी शव को हाथ में लेकर जाने के मामले सामने आते रहते हैं. सिस्टम को तमाचा मारने वाली यह तस्वीर कहीं और की नहीं बल्कि जिला मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल की है.


सिकलसेल बीमारी से पीड़ित थी बच्ची
जिले के बुढ़ार ब्लॉक के कोटा गांव के निवासी लक्षमण सिंह गोंड की 13 साल की बच्ची माधुरी सिकलसेल बीमारी से ग्रसित थी, जिसे इलाज के लिए संभाग के सबसे बड़े ज़िला कुशा भाऊ ठाकरे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां इलाज के दौरान शाम को बच्ची की मौत हो गई. परिजनों ने शव को अपने गृह ग्राम तक ले जाने के लिए शव वाहन मांगा तो अस्पताल प्रशासन ने कहा कि 15 KM से ज्यादा दूरी के लिए नहीं मिलेगा. आपको खुद करना पड़ेगा.


कलेक्टर ने उपलब्ध कराई एंबुलेंस
गरीब पिता निजी शव वाहन का खर्च नहीं उठा पाने की स्थिति में खुद बेटी का शव लेकर बाईक में निकल पड़ा. इसी बीच मामले की जानकरी लगते ही मौके पर पहुची शहड़ोल कलकेटर ने शव वाहन उपलब्ध कराया. आदिवासी बाहुल्य शहडोल संभाग में कभी खाट पर तो कभी बाइक पर तो कभी रिक्शा पर तो कभी शव को हाथ मे लकेर जाने के मामले सामने आते रहते हैं. जो प्रशासन को आइना दिखाने की लिए काफी है. बाबजुद इसके इस ओर सुधार करने की बजाय विकल्प निकाल कर उसे बढ़ावा देने का काम किया जा रहा है.


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