भोपाल में मिला इन्फ्लूएंजा H3N2 का पहला केस, सर्दी-खांसी के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आई
कोरोना की तरह तेजी से फैलने वाले इंफ्लूएंजा H3N2 वायरस की एंट्री मध्यप्रदेश में हो चुकी है. राजधानी भोपाल में एक युवक इंफ्लूएंजा संक्रमित मिला है. युवक की उम्र करीब 25 से 26 साल बताई जा रही है. जानकारी के मुताबिक युवक ने भोपाल के एम्स में जांच कराई गई थी.
भोपाल: कोरोना की तरह तेजी से फैलने वाले इंफ्लूएंजा H3N2 वायरस की एंट्री मध्यप्रदेश में हो चुकी है. राजधानी भोपाल में एक युवक इंफ्लूएंजा संक्रमित मिला है. युवक की उम्र करीब 25 से 26 साल बताई जा रही है. जानकारी के मुताबिक युवक ने भोपाल के एम्स में जांच कराई गई थी. जांच के बाद इस वायरस की पुष्टि की गई है. स्वास्थ्य विभाग ने इस बात की जानकारी दी है.
घर में ही क्वारेंटाइन
भोपाल में पहला केस आने के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा कि संक्रमित युवक को सर्दी-जुकाम की शिकायत है. फिलहाल अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है. इसलिए युवक को होम आइसोलेशन में रखा गया है. 4 दिन पहले ही उनके सैंपल लिए गए थे. अब भोपाल एम्स में जांच के बाद संक्रमण की पुष्टि हुई है.
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सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी ने की पुष्टि
वहीं इस मामले को लेकर भोपाल के सीएमएचओ प्रभाकर तिवारी ने कहा कि जांच के बाद युवक वायरल संक्रमित पाया गया है. फिलहाल वो स्वस्थ है. वहीं पॉजिटिव युवक की कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं मिली है. वो बाहर नहीं गया था. ऐसे में युवक को वायरल कैसे लगा इसका पता लगाया जा रहा है. उनके संपर्क में आने वाले का भी टेस्ट किया जाएगा.
कोरोना से अलग H3N2
बता दें कि इंफ्लूएंजा वायरस कोरोना से काफी हद तक अलग है. इसमें सर्दी खांसी के साथ बुखार तो आता है, लेकिन खांसी 3 सप्ताह तक रुकती है, और व्यक्ति परेशान होता है. फिलहाल ये भी देखने आया है कि जिनको कोरोना की वैक्सीन लगी है उसे भी यह वायरस अपनी चपेट में ले रहा है.
H3N2 के लक्षण क्या हैं?
बता दें कि इसमें ठंड लगना, खांसी, ज़ुकाम, बुखार, उल्टी, गले में खराश, मांसपेशियों और शरीर में दर्द के साथ पेट खराब होना जैसे लक्षण देखे गए हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, H3N2 की बीमारी में बाकी वायरस के मुकाबले खतरनाक है. इसमें मरीज के अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ सकती है. 92 फीसदी मरीजों में बुखार, 86 फीसदी में खांसी, 27 फीसदी में सांस लेने में दिक्कत, 16 फीसदी में सांस की नली में घरघराहट, 16 फीसदी में न्यूमोनिया और 6 फीसदी में मिर्गी की समस्या देखी गई है. 10 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट तो 7 फीसदी को आईसीयू केयर की जरूरत पड़ी है.