Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के दमोह से सोमवार को अजीबो गरीब मामला सामने आया है. यहां एक शख्स ने जिंदा रहते ही खुद की तेरहवीं यानी मृत्युभोज का आयोजन कर दिया. शख्स ने खुद अपनी तेरहवीं के कार्ड छपवाए और बांटे. यहीं नहीं आयोजन के दिन खुद ने पूरी रीति रिवाज के साथ तेरहवीं की सभी रस्में निभाईं. घर में आए रिश्तेदारों को भोजन भी कराया.


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यह अजीब वाकया दमोह के फुटेरा वार्ड 1 में हुआ. इस वार्ड में जय प्रकाश सोनी रहते हैं, जो पेशे से सरकारी टीचर हैं. भरा पूरा परिवार है. परिवार में भी आपस में प्रेम है और सब मिलजुलकर रहते हैं. कुछ दिन पहले जय प्रकाश ने ने कार्ड छपवाए, जिसमें लिखा- मेरी आत्मा का निधन हो चुका है और आत्मा विहीन शरीर स्वस्थ रहे.  इसके लिए स्वल्पाहार का आयोजन किया गया है. इस कार्ड में आयोजक खुद जयप्रकाश बने और उसमें खुद के फोटो के साथ अपने बेटे का फोटो भी प्रिंट कराया.


कार्ड मिलते ही हैरान हुए सब
31 मार्च को तय इस आयोजन के कार्ड जब सोनी के रिश्तेदारों और समाज के लोगों को मिले तो सब हैरान रह गए. घर के लोगों ने भी शिक्षक के इस कदम का विरोध किया, लेकिन वो नहीं माने और फिर रविवार को तेरहवीं की विधि के मुताबिक पूजा पाठ के साथ सुंदरकांड का पाठ हुआ. इस प्रक्रिया में भी खुद शिक्षक सोनी शामिल हुए और मृत्यु भोज में रखे स्वल्पाहार में आये लोगों को उन्होंने ही परोसा. ज्यादातर लोग पहली दफा इस तरह के किसी आयोजन में शामिल हुए. जब जिंदा रहते कोई अपनी तेरहवीं कर रहा था.


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क्या बोलीं पत्नी और बहन
जय प्रकाश सोनी की बहन को जब इस मामले की खबर मिली तो वो इंदौर से दमोह पहुंचीं. उन्होंने इस आयोजन को अपशगुन बताया. आयोजन में शामिल होने आए लोग कहते हैं कि उनकी नजर में ये पहला मौका है लेकिन एक बुजुर्ग बताते हैं कि दशकों पहले एक संत ने जिंदा रहते अपनी तेरहवीं का कार्यक्रम किया था. शिक्षक की पत्नी और बेटे बताते हैं कि जब उन्हें ऐसा पता चला तो उन्होंने मना किया, लेकिन जयप्रकाश मानने तैयार नहीं हुए तो फिर वो भी इसमें शामिल हो गए.


शिक्षक ने बताया क्यों किया आयोजन?
इस अजीब कारनामे को अंजाम देने वाले जयप्रकाश सोनी कहते हैं कि मोबाइल के जरिए उन्हें ये ज्ञान मिला कि जिंदा रहते हुए ऐसी प्रक्रिया की जा सकती है. वो चाहते हैं कि मोह माया से विरक्त होकर वो आत्मा की शांति के लिए खुद पूजन करें और उन्होंने ऐसा किया है.


रिपोर्ट: महेंद्र दुबे, दमोह