Gujrat Highcorut News: "हम 21वीं सदी में जी रहे हैं. अपनी मां या परदादी से पूछिए, पहले 14-15 साल की उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती थी, और बच्चा 17 साल की उम्र में ही जन्म ले लेता था. लड़कियां, लड़कों से पहले मैच्योर हो जाती हैं. 4-5 महीने में कोई फर्क नहीं पड़ता. आप इसके लिए मनुस्मृति जरूर पढ़े'' ये मौखिक टिप्पणी या तर्क गुजरात हाईकोर्ट ने एक नाबिलग लड़की के पिता की तरफ से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए की है. लड़की के पिता ने रेप का शिकार हुई अपनी 17 साल की बेटी का 7 महीने का गर्भपात कराने की इजाजत मांगी थी.


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लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबकि नाबालिग लड़की जिसकी उम्र महज 16 साल 11 महीने हैं. उसके साथ रेप हुआ था और इसी के चलते गर्भ ठहर गया. अब वो 7 महीने की प्रेग्नेंट है. उसके पिता का कहना है कि उसे ये बात 7 महीने बात पता चली है. इसके बाद उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट में गर्भ को गिराने की मांग की है. साथ ही इसपर जल्दी सुनावई के लिए भी कहा क्योंकि नाबालिग की डिलीवरी संभावित तारीख 18 अगस्त है.


कोर्ट ने क्या टिप्पणी की?
बता दें कि  नाबालिग के पिता की तरफ से पक्ष रख रहे सीनियर एडवोकेट सिकंदर सैयद ने गर्भ के मेडिकल टर्मिनेशन पर जोर दिया था. इसपर जस्टिस समीर जे. दवे ने मौखिक रुप से कहा कि पुराने समय में यह काफी सामान्य था. लड़कियों की शादी 14 से 15 साल की बीच होती थी और वो 17 साल की उम्र तक बच्चे की मां बन जाती थी. आपने इसे पढ़ा नहीं होगा, लेकिन आपको एक बार इसके लिए मनुस्मृति को पढ़ना चाहिए.


जावेद अख्तर ने की टिप्पणी



अगस्त तक बच्ची की संभावित डिलीवरी
वहीं एडवोकेट सैयद ने कोर्ट से इस मामले में जल्द से जल्द सुनवाई पूरी करने की गुहार लगाई है. क्योंकि नाबालिग की डिलीवरी तारीख 18 अगस्त रहने की संभावना डॉक्टरों ने जताई है. हालांकि कोर्ट ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि यदि मां औ भ्रूण दोनों अच्छी हालत में हैं तो वो गर्भपात की इजाजत नहीं देगी. इस मामले की अगली सुनवाई 15 जून को होगी.


आखिर मनुस्मृति क्या है?
मीडिया में छपे कई आर्टिकल में इतिहासकार नराहर कुरुंदकर ने अपनी किताब Manusmriti: contemporary thoughts में इस किताब के कटेंट और फॉरमेट के बारे में समझाते हुए लिखा हैं कि...


स्मृति का मतलब धर्मशास्त्र होता है. ऐसे में मनु द्वारा लिखा गया धार्मिक लेख मनुस्मृति कहा जाता है. मनुस्मृति में कुल 12 अध्याय हैं, जिसमें 2684 श्लोक हैं. कुछ संस्करणों में श्लोकों की संख्या 2964 है. इस किताब की रचना ईसा के जन्म से दो-तीन सौ सालों पहले शुरू हुई थी.