Harda fire incident: 2020 में सील हुई थी पटाखा फैक्ट्री, फिर ऐसे खोली गई, हुए ये बड़े खुलासे
Harda fire incident: हरदा में पटाखा फैक्ट्री में हुए विस्फोट मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. पटाखा फैक्ट्री को 2020 में सील कर दिया गया था, लेकिन फिर से खोल दिया गया. वहीं, विधायक ने मामले में प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप लगाया है.
Harda firecracker factory fire incident: हरदा में लापरवाही की हदें पार करने का मामला सामने आया है. पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हो गया. जिसमें 175 लोग झुलसे, 11 लोग जिंदा जल गए. इस घटना के चलते अनगिनत लोग बारूद के मलबे के नीचे दबे हुए हैं. फैक्ट्री के आसपास तबाही का मंजर. वहीं, इस मामले बड़ा खुलासा हुआ है. 2020 में फैक्ट्री को सील कर दिया गया था. हालांकि, एसडीएम और एडीएम ने बताया है कि कमिश्नर के आदेश पर सील की गई फैक्ट्री फिर से खोल दी गई थी.
राजधानी भोपाल से 148 किलोमीटर दूर हरदा में लापरवाही ने हद पार कर गई. जिसके चलते कई परिवारों के चिराग बुझा दिए और 175 लोगों को जिंदगी और मौत के बीच धकेल दिया. जबकि 10 लोग जिंदा जल गए. बारूद का खेल इस तरह से खेला जा रहा था कि कई लोग अभी भी इस बारूद के खेल के भंवर में फंसे हुए हैं. आसपास के घर जलकर राख हो गए हैं. बड़े पैमाने पर बारूद विस्फोट अब भी जारी हैं. मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है. मिली जानकारी के मुताबिक यह फैक्ट्री 2020 में सील की गई थी, लेकिन पिछले साल कमिश्नर के आदेश पर यह फैक्ट्री खोली गई. वहां बड़ी संख्या में लोग काम करते हैं. यह लापरवाही की हद है, बारूद का यह खेल रिहायशी इलाके में खेला जा रहा था.
प्रशासन की मिलीभगत से चल रही थी फैक्ट्री: MLA
कांग्रेस विधायक आरके दोगने ने कहा कि यह बड़ी लापरवाही है. यह प्रशासन की लापरवाही है. प्रशासन ने क्यों दी इजाजत? इस फैक्ट्री में पहले भी दो बार धमाके हो चुके हैं, लोगों की मौत हो चुकी है. फैक्ट्री को बंद कर दिया गया था, लेकिन प्रशासन की मिलीभगत से दोबारा इस फैक्ट्री का संचालन शुरू कर दिया गया. यहां तक कि कांग्रेस विधायक ने रोते हुए कहा कि बारूदी के खेल के हर किरदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, यह खेल प्रशासन की मिलीभगत से खेला जा रहा है. कांग्रेस विधायक मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने जांच के निर्देश दिए हैं, लेकिन मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि बारूद खेल के हर खिलाड़ी को कड़ी सजा दी जाए. गरीबों को न्याय मिले और उचित मुआवजा मिले.
पीड़ितों का दर्द
पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट से कई लोग जिंदा जल गए, कई जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. वहीं, फैक्ट्री के आसपास के कई घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं. फैक्ट्री के पास रहने वाले जयंत सेन का रो-रोकर बुरा हाल है. उन्होंने कहा कि उनके पिता बुरी तरह घायल हो गए हैं. घर पूरी तरह से नष्ट हो गया है और अब रहने लायक नहीं रहा. अब हम कहां रहेंगे? जयंती ने कहा कि कई बार शिकायत की गई कि फैक्ट्री को रिहायशी इलाके में न चलाया जाए, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई. प्रशासन के खेल के चलते हरदा में चल रही पटाखा फैक्ट्री ने कई परिवारों और लोगों की जिंदगी छीन ली. कई घर और दुकानें बर्बाद हो गए हैं. रहवासियों का आरोप है कि नाबालिगों से काम कराया जा रहा था. प्रशासन और पुलिस वसूली करने आती थी.
प्रशासन नहीं जागा
सोमेश अग्रवाल और राजेश अग्रवाल ने बारूद का ऐसा खेल खेला कि आज लोगों के घर कब्र बन गए हैं. आज दोपहर 11 बजे फैक्ट्री में धमाका हुआ जो अब तक नहीं रुका है. दो साल पहले जब फैक्ट्री में विस्फोट हुआ था तो दो लोग जिंदा जले थे. हालांकि, उनके जलने पर प्रशासन नहीं जागा. फैक्ट्री सील कर दी गई थी लेकिन कमिश्नर की मेहरबानी से फैक्ट्री चालू हो गई और आज लोग जिंदा जला गय. फैक्ट्री संचालक फरार है, पुलिस को कोई सुराग नहीं. 175 लोग झुलस गए हैं. 25 गंभीर हैं और उन्हें भोपाल रेफर किया गया है. 10 जिंदगियां जिंदा जल गई हैं. जबकि अनगिनत लोग बारूद के खेल में फंस गए हैं.
पहले फैक्ट्री को सील किया गया था: एडीएम नागा
एडीएम नागा अर्जुन गौड़ा ने बताया कि पहले फैक्ट्री को सील किया गया और बाद में इसे चालू कर दिया गया. राजेश अग्रवाल और सोमेश अग्रवाल की फैक्ट्री हैय इस फैक्ट्री को 2020 में सील कर दिया गया था. एक घटना के बाद इस फैक्ट्री का लाइसेंस रद्द करने की जांच चल रही थी. लाइसेंस रद्द होने से पहले ही हादसा हो गया. रहवासी इलाके में फटाका फैक्ट्री कैसे संचालित हो रही है, इस सवाल पर ज्यादातर लोग गोल-मोल जवाब देते नजर आये. प्रशासन को इस बात का कोई अंदाज़ा नहीं है कि मलबे में कितने लोग दबे हैं. प्रशासन लाचार नजर आ रहा है.