CM Mohan Yadav News: हरियाणा में विधानसभा चुनाव के प्रचार का शोर 3 अक्टूबर को थम गया था. आज यानि की 5 अक्टूबर यहां वोटिंग हो रही है. वोटिंग के साथ ही प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन दिग्गजों ने अपना दम खम दिखाया था. तमाम पार्टियों के बड़े नेताओं ने आखिरी दिन जमकर प्रचार किया था. इसी कड़ी में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बीजेपी के लिए विधानसभा चुनाव में कमान संभाली थी और प्रचार के आखिरी दिन उन्होंने झज्जर जिले के मातनहेल और भिवानी जिले के तोशाम विधानसभा में रोड शो और चुनावी रैली को संबोधित किया था इस दौरान मोहन यादव ने कहा कि, अपार जन समर्थन को देखकर लग रहा है कि हरियाणा में राष्ट्रवाद की लहर है.


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क्या है जाति फैक्टर 
हरियाणा में जिन सीटों पर मोहन यादव ने प्रचार किया है उन सभी सीटों पर यादव मतदाता ज्यादा हैं. इन सभी सीटों पर यादव मतदाता प्रत्याशी की जीत-हार के निर्णय में बड़ी भूमिका निभाते हैं. सीएम मोहन यादव ने चरखी दादरी, भिवानी और बवानी खेड़ा में जनसभाओं को संबोधित किया है. इन तीन विधानसभा क्षेत्रों में से दो चरखी दादरी और भिवानी में यादव समुदाय की संख्या काफी ज्यादा है. यही कारण है कि, यादव फैक्टर के चलते पार्टी ने मोहन यादव को चुनाव प्रचार में उतारा था.


क्या सही साबित होगा बीजेपी का दांव? 
हरियाणा के जिस क्षेत्रों में मोहन यादव को प्रचार की जिम्मेदारी मिली थी वो विशेष क्षेत्र दिल्ली -एनसीआर के अंतर्गत आता है. ये इलाका यादव समुदाय के बीच मजबूत संबंध और आपसी सहयोग के लिए जाना जाता है. एनसीआर के इलाके में बीजेपी की अच्छी पकड़ मानी जाती है. खासकर यादव बहुल इलाकों में. यही वजह है कि बीजेपी ने मोहन यादव को इन क्षेत्रों में प्रचार की कमान सौंपी. पर सवाल अब यही है कि; क्या भाजपा को इसका लाभ मिलेगा ? क्योंकि सीएम मोहन यादव का जलवा कुछ महीने पहले ही खत्म हुए लोकसभा चुनाव में नहीं चला था.


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यूपी में नहीं चला था सीएम मोहन का यादव फैक्टर
पिछले साल जब मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज की थी और उसके बाद मोहन यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था. तब इस फैसले को रणनीतिकार कुछ ही महीनों में शुरू होने वाले लोकसभा चुनाव में यूपी के यादव वोट बैंक को साधने के लिहाज से देख रहे थे. मगर सीएम महोन का यूपी में जादू फिका पड़ गया. सीएम मोहन ने इटावा, एटा, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्नौज, बदायूं, आजमगढ़, फैजाबाद, संतकबीर नगर, बलिया, कुशीनगर, संभल, बदायूं,गाजीपुर और महाराजगंज सीटें पर चुनावी सभाएं की थी. लेकिन जब रिजल्ट आया तो चित्र ही अलग थे. 80 लोकसभा सीटों वाले यूपी में भाजपा के हिस्से मात्र 33 सीटें ही आई थी. फैजाबाद जैसी बहुचर्चित सीट जो राम मंदिर बनाने के बाद भी भाजपा हार गई. बहरहाल देखाना होगा कि यूपी लोकसभा चुनाव की तरह सीएम मोहन का जादू फीका पड़ता है या फिर हरियाणा में सीएम जलवा बिखेरते हैं.


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