जबलपुर: मध्य प्रदेश के कॉलेजों में भगवद गीता पढ़ाने के मामले पर जबलपुर पहुंचे उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के कॉलेजों में हिंदू धर्म ग्रंथों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है. हमारी न्याय व्यवस्था में धार्मिक ग्रंथों का एक खास महत्व है. लिहाजा हमारा फर्ज है कि हम जानें कि इन पुस्तकों और धार्मिक ग्रंथों में आखिरकार क्या है. इसीलिए पाठ्यक्रमों में गीता और भगवत गीता समेत रामायण को भी शामिल किया जाएगा.


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अन्य धर्मों को भी करेंगे शामिल
मोहन यादव ने कहा कि बेहद जरूरी हो गया है कि आज की युवा पीढ़ी को इन धार्मिक ग्रंथों की महत्वता का पता चले. मध्य प्रदेश का उच्च शिक्षा विभाग प्राचीन इतिहास को जीवंत करने में लगा हुआ है. वहीं अन्य धर्मों के ग्रंथों को भी पाठ्यक्रम में शामिल करने के सवाल पर मोहन यादव बोले कि जो हमारी जड़ों से जुड़े धर्म ग्रंथ हैं. उन सभी को पाठ्यक्रमों में लाया जाएगा. मध्य प्रदेश में 17 प्रकार की भाषाएं हैं. उनके धर्म ग्रंथों को भी शामिल करने में कोई आपत्ति नहीं है.


कॉलेजों में अब भगवद गीता पढ़ाई जाएगी
बता दें कि मध्य प्रदेश के कॉलेजों में अब भगवद गीता पढ़ाई जाएगी. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में आयोजित युवा संसद में शिरकत के दौरान ये ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि सेकेंड ईयर में भगवद गीता की पढ़ाई कराई जाएगी. बता दें कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पहले ही कॉलेजों में रामचरित मानस और महाभारत की पढ़ाई शामिल की जा चुकी है. इसके बाद अब भगवद गीता के ऐलान के बाद प्रदेश में महाभारत शुरू हो गई है. कांग्रेस का आरोप है कि पहले ही प्रदेश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता ठीक नहीं है. कॉलेजों में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है और सरकार इस तरह की बात कर रही है. कांग्रेस का कहना है कि धार्मिक विषय पढ़ाए जाने से हमें कोई एतराज नहीं है, लेकिन पहले उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने पर ध्यान दें. इसके बाद सरकार अपना राजनीतिक एजेंडा सेट करे.


 


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