Neem Sharbat: हिंदू नववर्ष की अनोखी परंपरा! जानिए यहां क्यों पिलाया जाता है नीम का शर्बत?
Hindu New Year 2023: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के रतलाम (Ratlam) जिले में हिंदू नव वर्ष मनाने की अनूठी परंपरा है. यहां पर नए साल की शुरुआत नीम का शर्बत (Neem Sharbat) पिलाकर और तिलक लगाकर की जाती है. इस कड़वे शर्बत को लोग प्रसाद मानकर पीते हैं.
Unique Tradition in Hindu New Year: रतलाम (Ratlam) जिले में हिंदू नववर्ष मनाने की अनूठी परंपरा है. यहां पर नव वर्ष की शुरुआत मिठाई खिलाकर नहीं बल्कि नीम (Neem ka Sharbat)का कड़वा शर्बत पिलाकर की जाती है. शहर भर में मंदिरों के सामने स्टॅाल लगाए जाते हैं और यहां पर लोग नीम का शर्बत पीते हैं. नीम का तिलक लगाकर एक - दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं. क्या है नीम के शर्बत पीने की मान्यता जानते हैं.
नीम का शर्बत पिलाने की मान्यता
हिंदू नववर्ष पर गुड़ी पड़वा मनाया जाता है. जिसके तहत शहर भर में कई जगहों पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. पर्व की शुरुआत सुबह सूर्य देव को जल चढ़ाने के साथ की जाती है. इस दौरान विभिन्न संस्थाओं के द्वारा नीम के शर्बत का वितरण किया जाता है. इसके अलावा लोगों को नीम का तिलक भी लगाया जाता है. बता दें कि गुड़ी पड़वा पर्व में इस परंपरा का निर्वहन सदियों पहले से किया जा रहा है.
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प्रसाद मानकर शर्बत पीते हैं लोग
आम तौर पर नीम को खाना कोई भी पसंद नहीं करता है. नीम में काफी ज्यादा कड़वाहट होती है. लेकिन गुड़ी पड़वा के पर्व पर लोग प्रसाद के रूप में इसके शर्बत को पसंद करते हैं. कहा जाता है कि इस समय नीम के नए पत्ते निकलते हैं. नीम को स्वाथ्य के लिए लाभदायक भी होता है. ऐसे में शर्बत पिलाते वक्त पूरे वर्ष लोगों के स्वस्थ रहने की कामना की जाती है.
इसलिए मनाया जाता है नववर्ष
हिंदू नववर्ष मनाने की पीछे की मान्यता है कि इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की शुरुआत की थी. इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की भी शुरुआत होती है. इस विक्रम संवत को भारत के अलग अलग राज्यों में गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से मनाया जाता है. इसकी चहल पहल लोगों में काफी ज्यादा देखने को मिलती है.
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विक्रम संवत
विक्रम संवत की शुरुवात राजा विक्रमादित्य ने की थी. यह सनातन धर्म को मानने वालों के लिए काफी ख़ास है. ज्योतिष की गणना के अनुसार देश, राज्य के समस्त विषयों की भविष्यवाणी, लोक व्यवहार, विवाह, अन्य संस्कारों और धार्मिक अनुष्ठानों की तिथियां निर्धारित की जाती हैं. विक्रम संवत अंग्रेजी कैलेण्डर से 57 साल आगे है और हर साल चैत्र प्रतिप्रदा तिथि से नया विक्रम संवत शुरू होता है.
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