नीरज जैन/अशोनगर: रंगपंचमी (Rangpanchami 2023)  के अवसर पर अशोकनगर जिले के करीला धाम (Karila Dham in Ashoknagar District) पर लगने वाला भव्य मेला देश भर में प्रसिद्ध है. इस स्थान का धार्मिक महत्त्व और यहां मन्नत पूरी होने पर होने वाले प्रसिद्ध बुंदेलखंडी नृत्य राई (Bundelkhandi dance Rai) भी काफी प्रसिद्ध है. इस मेले को लेकर जिला प्रशासन काफी सारी व्यवस्थाएं ,मेले के सफल आयोजन के लिए करता है, लेकिन इस बार जिला प्रशासन द्वारा लिए गए एक फैसले को इस मेले की धार्मिक आस्था से खिलवाड़ माना जा रहा है और फैसले को राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा भी संज्ञान लेकर जवाब जिला प्रशासन से मांगा गया है. मेले में आने वाली नर्तकियों के HIV टेस्ट को लेकर जिला प्रशासन सवालों के घेरे में आ खड़ा हुआ है. लोग इसे धार्मिक आस्था से खिलवाड़ मान रहे हैं. हालांकि, जिला प्रशासन के मुखिया कलेक्टर द्वारा इस मामले में चुप्पी साध ली गयी है और कुछ अधिकारी अब HIV टेस्ट वाले मामले पर पर्दा डालने की कोशिश में लगे हुए हैं.


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इसलिए खास है ये मेला
बता दें कि जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित करीला धाम पहाड़ी ओर स्थित माता जानकी का मंदिर है. कहा जाता है कि जब भगवान राम ने माता सीता को त्याग दिया था तो वनवास के दिनों में माता सीता ने यहीं पर लव और कुश को जन्म दिया था और उस समय स्वर्ग से अप्सराओं ने यहां आकर बधाई नृत्य किया था. इसी मान्यता के आधार पर इस मंदिर पर हर साल रंगपंचमी के अवसर पर विशाल मेला लगता है. देश भर से श्रद्धालु यहां आते हैं और सीता-माता के दर्शन कर मन्नत मांगते हैं. मन्नत पूरी होने पर राई( बुंदेलखंडी नृत्यांगनाओं) से क्षमता अनुसार बधाई नृत्य करवाते हैं. यहां आने वालों में आम-आदमी ही नही बल्कि बड़ी-बड़ी हस्तियां,राजनेता,अधिकारी भी शामिल हैं. यूं तो साल भर इस मन्दिर पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन रंगपंचमी के दिन का विशेष महत्त्व होने के कारण इस दिन अकेले ही 10 से 15 लाख भक्त यहां दर्शन करने और मन्नत मांगने आते हैं.


गौरतलब है कि करीला के मेले को सफल बनाने के लिए जिले के अधिकारी भी लगभग एक माह पहले से सक्रिय हो जाते हैं और व्यवस्थाओं का जायजा लेते हैं, लेकिन इस बार जिला प्रशासन के एक नवाचार ने खुद प्रशासन को ही कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. जिला प्रशासन ने इस बार यहां आने वाली डांसरों के HIV टेस्ट कराने की शुरुआत कर दी. इस प्रकार की कोई जांच इस बार से पहले करीला के मेले में कभी नहीं हुई. अब इस फैसले के पीछे प्रशासन की क्या मंशा रही होगी, इसका जवाब तो सिर्फ प्रशासन ही दे सकता है. हालांकि सिर्फ 10 जांच होने की पुष्टि जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने की है,लेकिन मामला बिगड़ता देख आधिकारियो ने लीपापोती शुरू कर दी और प्रशासन द्वारा जांच होने की बात पर से भी मुकरने लगे. गौरतलब है कि करीला के मेले में हजारों की संख्या में नर्तक बधाई नृत्य करने आती हैं और सिर्फ बधाई नृत्य ही उनकी आजीविका चलती है. प्रशासन के डर से HIV जांच का विरोध तो किसी नृत्यांगना ने नहीं किया, लेकिन कहीं न कहीं इस प्रकार के प्रशासनिक कदम से उनके मन को ठेस जरूर पहुंची होगी.