Holi 2024: खरगोन में होती है गुड़ तोड़ परंपरा, पति पर डंडे बरसाती है पत्नी; जानिए होली का खास रिवाज
Holi 2024: मध्य प्रदेश के खरगोन में होली की अनोखी परंपरा प्रचलित है. यहां पत्नियां पति को डंडे से पीटती हैं और यहां गुड़ तोड़ परंपरा भी निभाई जाती है. आइये जानें यहां का ट्रेडिशन
Holi 2024: हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहारों में से एक होली का उत्सव देश में कई स्थानों पर शुरू हो गया है. हालांकि, मुख्य त्यौहार सोमवार, 25 मार्च को मनाया जाएगा. होली में हमारे देश में कई परंपराएं निभाई जाती है. इसमे कई तो बेहद रोचक होती है तो कई कुछ हद तक फनी भी होती है. ऐसी ही कुछ परंपराएं निभाई जाती हैं मध्य प्रदेश के खरगोन में जहां महिलाएं पतियों पर लाठियां बरसाती है और गुड़ तोड़ने की परंपरा निभाई जाती है.
खरगोन के पास हैं गांव
खरगोन से 27 Km दूर धुलकोट गांव हैं. यहां अनूठी परंपरा निभाई जाती है. हालांकि, यहां ये आयोजन तीन साल में महज एक बार ही होता है. मलखंब की तरह ऊंचे चिकने पोल पर गुड़ की पोटली बांधी जाती है और इसे तोड़ने के लिए पुरुष पोल पर चढ़ते है. सबसे मजेदार चीज की नीचे महिलाएं होती है और वो डंडे मारती है.
तीन जगहों पर आयोजन
होली पर ये आयोजन जिले के भगवानपुरा इलाके में आने वाले 3 गांव में होता है. ये गांव है धुलकोट, भाग्यपूर और मोहना. यहां गुड़ तोड़ परंपरा निभाई जाती है. यहां नंदगांव और बरसाना की प्रसिद्ध लट्ठमार होली की तरह ही ये परंपरा निभाई जाती है. हर गांव में बारी-बारे से ये आयोजन होता है. यानी हर साल एक गांव में होली का ये आयोजन होता है.
इन परिवार के पुरुष ही गुड़ तोड़ते हैं
उत्सव की तैयारी हफ्ते भर पहले से होती है. पुराने लकड़ी के खंबे को 8 दिनों तक तेल पिलाया जाता है. इसके बाद इसे सप्तमी के दिन गांव का पटेल परिवार पूजन कर मैदान में गाड़ता है. खंबे के ऊपर गुड़ की पोटली बांधी जाती है और मौर्य एवं मंडलोई परिवार के पुरुष तोड़ने के लिए चढ़ते हैं.
पीटती है पत्नी
परंपरा के अनुसार पोल पर 7 बार गुड़ की पोटली बांधी जाती है. हर बार पुरुष इसे तोड़कर नीचे लाते हैं. वहां महिलाएं भांग मिली लस्सी पीती हैं और पुरुषों को मारती हैं. कई बार तो ऐसा होता है कि गुड़ तोड़ने पति चढ़ा होता है और नीचे से पत्नी डंडे मार रही होती है.
क्या है ये परंपर
पुराने समय में मनोरंजन के साधन के रूप में इस परंपरा को शुरू किया गया था. धीरे-धीरे ये लोकप्रिय हो गई और अभी तक चल रह रही है. सामाजिक समरसता का संदेश देने के उद्देश्य से मनाए जा रहे इस पर्व में अन्य जिलों के लोग भी शामिल होते हैं.